कठूमर क्षेत्र में मानसून रहा कमजोर, कम बारिश के चलते आठ बांध अभी भी प्यासे

कठूमर. प्रदेश सहित अलवर जिले के अन्य क्षेत्रों में भले ही मेघ मेहरबान रहे और जमकर बरसे, लेकिन कठूमर क्षेत्र में मानसून कमजोर ही रहा। कम बारिश के कारण क्षेत्र के सभी आठ बांधों की प्यास नहीं बुझ पाई और इनके पेटों में पानी की जगह घास व खरपतवार से हरियाली छाई हुई है।कठूमर क्षेत्र में अच्छी बारिश के लिए अब भी लोग तरस रहे हैं। बारिश की कमी के कारण न केवल सभी बांध सूखे पड़े हैं, बल्कि अन्य ताल-तलैया, पोखरों में भी पानी न के बराबर आया है। 2024 में अच्छी बारिश के चलते सालवाड़ी बांध ओवरफ्लो हो गया था और गालाखेड़ा व टिटपुरी बांध में भी चार फीट पानी आ गया था, लेकिन इस साल जोरदार बारिश नहीं होने से क्षेत्र के सभी बांधों की सतह सूखी पड़ी है। बरसात के आंकड़ों पर नजर डाले तो दो साल की तुलना में इस बार 31 जुलाई तक कम बारिश हुई है। क्षेत्र में 2023 में 31 जुलाई तक 494, 2024 में 401 मिमी बरसात हुई थी, जबकि 2025 में अब तक केवल 376 मिमी बारिश हुई है।

Aug 10, 2025 - 09:55
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कठूमर क्षेत्र में मानसून रहा कमजोर, कम बारिश के चलते आठ बांध अभी भी प्यासे
कठूमर. प्रदेश सहित अलवर जिले के अन्य क्षेत्रों में भले ही मेघ मेहरबान रहे और जमकर बरसे, लेकिन कठूमर क्षेत्र में मानसून कमजोर ही रहा। कम बारिश के कारण क्षेत्र के सभी आठ बांधों की प्यास नहीं बुझ पाई और इनके पेटों में पानी की जगह घास व खरपतवार से हरियाली छाई हुई है।कठूमर क्षेत्र में अच्छी बारिश के लिए अब भी लोग तरस रहे हैं। बारिश की कमी के कारण न केवल सभी बांध सूखे पड़े हैं, बल्कि अन्य ताल-तलैया, पोखरों में भी पानी न के बराबर आया है। 2024 में अच्छी बारिश के चलते सालवाड़ी बांध ओवरफ्लो हो गया था और गालाखेड़ा व टिटपुरी बांध में भी चार फीट पानी आ गया था, लेकिन इस साल जोरदार बारिश नहीं होने से क्षेत्र के सभी बांधों की सतह सूखी पड़ी है। बरसात के आंकड़ों पर नजर डाले तो दो साल की तुलना में इस बार 31 जुलाई तक कम बारिश हुई है। क्षेत्र में 2023 में 31 जुलाई तक 494, 2024 में 401 मिमी बरसात हुई थी, जबकि 2025 में अब तक केवल 376 मिमी बारिश हुई है।

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