ढहलावास के दीपचंद का जोहड़ सरिस्का की वादियों में पर्यावरण संरक्षण को दे रहा मजबूती

मालाखेड़ा. सरिस्का की वादियों में अलवर से करीब 40 किलोमीटर दूर ढहलावास गांव के दीपचंद शर्मा का जोहड़ करीब 45 साल से आज भी पानी का मुख्य स्रोत बना हुआ है। ढहलावास निवासी दीपचंद के संतान नहीं होने पर उसने प्रकृति- पर्यावरण पर ममत्व लुटाते हुए खुद के पैसों से करीब 3 बीघा जमीन में जोहड़ का निर्माण करवाया। यह जोहड़ गांव सहित करीब 3 से 4 किलोमीटर तक के आसपास का क्षेत्र और सरिस्का जंगल व पहाड़ों पर रहने वाले जंगली जानवर, पशु-पक्षियों और ग्रामीणों के मवेशियों के लिए पानी का एक मात्र जल स्रोत बना हुआ है।हालांकि अब इस जोहड़ के निर्माण में ग्राम पंचायत की ओर से मनरेगा योजना के तहत 14 लाख से अधिक का निर्माण करवा कर गहरा किया गया है। उसकी पाल बांधी गई है। इस जोहड़ पर ग्राम पंचायत के अलावा ग्रामीण व कई संस्थाएं लगातार मरम्मत करती रहती है. जिससे वर्षभर इसमें बारिश का पानी का स्टॉक बना रहता है।

Jun 5, 2025 - 05:19
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ढहलावास के दीपचंद का जोहड़ सरिस्का की वादियों में पर्यावरण संरक्षण को दे रहा मजबूती
मालाखेड़ा. सरिस्का की वादियों में अलवर से करीब 40 किलोमीटर दूर ढहलावास गांव के दीपचंद शर्मा का जोहड़ करीब 45 साल से आज भी पानी का मुख्य स्रोत बना हुआ है। ढहलावास निवासी दीपचंद के संतान नहीं होने पर उसने प्रकृति- पर्यावरण पर ममत्व लुटाते हुए खुद के पैसों से करीब 3 बीघा जमीन में जोहड़ का निर्माण करवाया। यह जोहड़ गांव सहित करीब 3 से 4 किलोमीटर तक के आसपास का क्षेत्र और सरिस्का जंगल व पहाड़ों पर रहने वाले जंगली जानवर, पशु-पक्षियों और ग्रामीणों के मवेशियों के लिए पानी का एक मात्र जल स्रोत बना हुआ है।हालांकि अब इस जोहड़ के निर्माण में ग्राम पंचायत की ओर से मनरेगा योजना के तहत 14 लाख से अधिक का निर्माण करवा कर गहरा किया गया है। उसकी पाल बांधी गई है। इस जोहड़ पर ग्राम पंचायत के अलावा ग्रामीण व कई संस्थाएं लगातार मरम्मत करती रहती है. जिससे वर्षभर इसमें बारिश का पानी का स्टॉक बना रहता है।

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