स्वामी प्रसाद मौर्या के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश:MP/MLA कोर्ट में दाखिल हुई थी याचिका, तुलसीदास-रामायण को बकवास बताया था
वाराणसी एमपी/एमएलए कोर्ट अपर मुख्य न्यायधीश ने स्वामी प्रसाद मौर्या पर केस दर्ज करने का आदेश दिया है। अधिवक्ता अशोक कुमार ने याचिका दाखिल की थी। याचिका की सुनवाई के बाद आदेश दिया गया है। आरोप है कि स्वामी प्रसाद मौर्या ने एक न्यूज चैनल के इंटरव्यू में तुलसीदास और रामचरितमानस पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। जिसके साक्ष्य के साथ बीजेपी नेता अशोक कुमार ने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्या पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी। इस मामले में कोर्ट नंबर-4 एमपी/एमएलए में सुनवाई करते हुए अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नीरज कुमार ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। वाराणसी के कैंट थाने में संबंधित धाराओं में अपनी जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या पर केस दर्ज होगा। तुलसीदास ने रामचरितमानस अपनी खुशी में लिखी कोर्ट में दाखिल याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा था - 22 जनवरी 2023 को एक प्रतिष्ठित न्यूज चैनल पर इंटरव्यू के दौरान तत्कालीन सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने पूछे गए प्रश्न - तुलसीदास की रामायण करोड़ों हिन्दुओं के आस्था का एक ग्रन्थ है। घरों में मानस पाठ होता है। आपको नहीं लगता इससे जो हिन्दू हैं.. वो आपसे नाराज हो जाएंगे? स्वामी प्रसाद मौर्या ने पत्रकार के पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि "मैं क्या, करोड़ों लोग इसको नहीं पढ़ते हैं, सब बकवास है। ये तुलसीदास ने अपनी प्रसन्नता अपनी खुशी के लिए लिखा है।" बैन करने की उठाई थी मांग पत्रकार ने दूसरा प्रश्न पूछा कि स्वामी प्रसाद मौर्या क्या चाहते हैं? क्या मांग करते हैं? पत्रकार के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए स्वामी द्वारा कहा गया कि - इस अंश को सरकार को संज्ञान में लेते हुए जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को बैन कर देना चाहिए। पत्रकार ने पुनः यह पूछने पर कि बैन कर देना चाहिए तो विपक्षी/अभियुक्त द्वारा कहा गया कि स्वाभाविक रूप से बैन कर देना चाहिए। कोर्ट में दायर की याचिका इस पूरे प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए अशोक कुमार (एडवोकेट) ने एमपी/एमएलए कोर्ट में याचिका दायर कर स्वामी प्रसाद मौर्या पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी। जिस पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कई दिनों की सुनवाई के बाद CRPC 156(3) को स्वीकार करते हुए। थाना प्रभारी कैंट को उचित धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किए जाने का निर्देश दिया है।

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