आज मित्रता दिवस- शास्त्रों के मित्रों की सीख:मित्र के उपकारों को नहीं भूलना चाहिए, चाहे वे कितने भी छोटे क्यों न हों, अपना वचन हर हाल में निभाएं
आज (3 अगस्त) फ्रेंडशिप डे है। हर साल अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे मनाया जाता है। मित्रता ही एकमात्र ऐसा संबंध है, जिसे हम अपनी पसंद-नापसंद से चुनते हैं। माता-पिता, भाई-बहन, रिश्तेदार हमारे साथ जन्म से जुड़े होते हैं, लेकिन मित्र वह होता है, जिसे हम स्वयं चुनते हैं, इसलिए मित्रों के चयन में बहुत सावधानी रखनी चाहिए। शास्त्रों में कई ऐसे मित्र बताए गए हैं, जिनसे जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र सीख सकते हैं... कर्ण और दुर्योधन – वफादारी बनाम विवेक महाभारत में कर्ण और दुर्योधन की मित्रता थी। कर्ण एक सूतपुत्र था, जिसे समाज में सम्मान नहीं मिलता था। दुर्योधन ने न केवल उसे अपनाया, बल्कि उसे अंगदेश का राजा बनाकर समाज में प्रतिष्ठा दिलवाई। बदले में कर्ण ने दुर्योधन के प्रति आजीवन वफादारी निभाई। यहां तक कि जब वह जानता था कि युद्ध अन्यायपूर्ण है, दुर्योधन अधर्म कर रहा है, फिर भी वह दुर्योधन के साथ रहा और पांडवों के विरुद्ध युद्ध लड़ा। सीख: श्रीकृष्ण और सुदामा – प्रेम, विनम्रता और निःस्वार्थ सेवा श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता सांदीपनि आश्रम में शुरू हुई थी, उस समय श्रीकृष्ण और बलराम उज्जैन स्थित सांदीपनि आश्रम में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। वर्षों बाद जब सुदामा निर्धनता में जी रहे थे, तब उनकी पत्नी ने उन्हें श्रीकृष्ण से सहायता मांगने भेजा। द्वारका पहुंचने पर श्रीकृष्ण ने उनका स्वागत किया, उन्हें गले लगाया और उनके पैर धोए। सुदामा ने उपहार के रूप में सादा पोहा (चिउड़ा) भेंट किया, जिसे कृष्ण ने अत्यंत प्रेम से ग्रहण किया। बिना किसी मांग के श्रीकृष्ण ने उनके जीवन की सभी समस्याएं समाप्त कर दीं। सीख: श्रीराम और सुग्रीव – वचन, कर्तव्य और समय पर सहयोग रामायण में, हनुमान की वजह से श्रीराम और सुग्रीव की भेंट होती है। दोनों ने एक-दूसरे की सहायता करने का वचन दिया। श्रीराम ने बाली को मारकर सुग्रीव को उसका खोया राज्य दिलवाया। सुग्रीव ने सीता की खोज और लंका युद्ध में श्रीराम की पूरी सहायता की। हालांकि, राज्य प्राप्त करने के बाद सुग्रीव अपने वचन को भूल गए, तब लक्ष्मण ने उन्हें चेताया और उन्हें अपनी जिम्मेदारी का अहसास हुआ। सीख: श्रीकृष्ण और द्रौपदी – उपकार और रक्षा का आदर्श महाभारत में श्रीकृष्ण और द्रौपदी का रिश्ता सखा-सखी का था। शिशुपाल के वध के समय जब श्रीकृष्ण की उंगली कट गई तो द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया था। बाद में जब द्रौपदी का चीरहरण सभा में हो रहा था, तब श्रीकृष्ण ने उसी टुकड़े के उपकार का ऋण चुकाते हुए उनकी लाज बचाई। सीख: जीवन प्रबंधन की दृष्टि से मित्रता के सूत्र:

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