पॉलिटेक्निक संस्थानों में खाली रह गईं 91 हजार सीट:कम सैलरी पैकेज से छात्रों का मोहभंग, प्राइवेट संस्थानों की 75 हजार सीट खाली
प्रदेश के पॉलिटेक्निक संस्थानों में इस बार 91 हजार 428 सीटें खाली रह गई हैं। 441 पॉलिटेक्निक संस्थानों मे 1 लाख 48 हजार 534 सीट पर दाखिले होना था। संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद की ओर से पॉलिटेक्निक में दाखिले के लिये आयोजित प्रवेश परीक्षा में 3 लाख 31 हजार 174 अभ्यर्थी सफल रहे थे। 4 राउंड की काउंसिलिंग में 78 हजार 878 हजार अभ्यर्थियों की सीट आवंटित हुईं, लेकिन 56 हजार 886 ने दाखिला लिया है। इनमें 31 हजार 179 सीटें राजकीय पॉलिटेक्निक की हैं। अभ्यर्थियों के दाखिला न लेने की वजह से बहुत से निजी संस्थान बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं। निजी संस्थानों में खाली रह गईं 75 हजार से अधिक सीट प्रदेश में 240 निजी पॉलिटेक्निक संस्थान में 89 हजार 937 सीट हैं। इसमें सिर्फ 14 हजार 827 सीटें ही फुल हो पाईं हैं। जबकि 75 हजार 110 सीटें खाली रह गईं हैं। अधिकारियों का कहना है कि निजी संस्थानों को सीधे प्रवेश लेने की छूट नहीं है। इसकी वजह से निजी संस्थानों में सीटें नहीं भर पा रही हैं। निजी में 30 हजार से अधिक फीस राजकीय पॉलिटेक्निक एक पाठ्यक्रम की 12 हजार रुपये फीस ले रहे हैं। वहीं निजी संस्थान 30 हजार रुपये से अधिक फीस ले रहे हैं। इसके अलावा छात्रावास आदि का शुल्क अलग से लेते हैं। इस वजह से अभ्यर्थियों की पहली पसंद राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थान होते हैं। राजकीय में दाखिला न मिलने की वजह से अभ्यर्थियों ने निजी में दाखिला नहीं लिया है। अधिकांश ने काउंसलिंग ही नहीं करायी प्रदेश में राजकीय,अनुदानित, पीपीपी मॉडल और निजी 441 पॉलिटेक्निक संस्थान संचालित हो रहे हैं। फार्मेसी छोड़कर इंजीनियरिंग और अन्य टेक्निकल ट्रेड में 1.48 लाख से अधिक सीट हैं। संयुक्त प्रवेश परिषद की ओर से पॉलिटेक्निक में दाखिले के आयोजित चार चरण की काउंसिलिंग में सिर्फ 78878 हजार अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया। जबकि पॉलिटेक्निक के 19 अलग-अलग ग्रुप के लिए आयोजित प्रवेश परीक्षा में 3.31 लाख से अधिक अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए थे। 15 से 20 हजार में बड़े शहरों में मिल रही नौकरी पॉलिटेक्निक संस्थानों के शिक्षकों का कहना है कि कोर ब्रांच के डिप्लोमा करने के बाद अभ्यर्थियों के आगे प्लेसमेंट की बड़ी समस्या है। सरकारी क्षेत्र में रोजगार के अवसर बहुत कम हो गए हैं। कई विभागों में डिप्लोमा को खत्म कर दिया गया है। निजी क्षेत्र की कम्पनियां बड़े शहरों में 15 से 20 हजार प्रति माह पैकेज की नौकरी दे रही हैं। चयनित अभ्यर्थियों को इतने कम पैकेज में बाहर जाकर काम करना काफी मुश्किल होता है।

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