हमने स्वदेशी अपनाया तो अमेरिका पर ज्यादा असर होगा : मित्तल

जालंधर | आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के फाउंडर, चांसलर डॉ. अशोक कुमार मित्तल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप को एक तीखा और प्रभावशाली खुला पत्र लिखा। यह कदम अमेरिका द्वारा भारतीय सामान पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने के बाद उठाया गया। भारत पर अब अमेरिकी टैरिफ 50% हो गया है। पत्र में डॉ. मित्तल ने इस फैसले को बहुत ज्यादा निराशाजनक बताया, खासकर इसलिए क्योंकि भारत और अमेरिका ने हमेशा मूल्यों पर आधारित (वैल्यू बेस्ड) साझेदारी और साझा रणनीतिक हित बनाए रखे हैं। उन्होंने सवाल किया, क्या कोई देश भारत पर रूस से व्यापार रोकने का दबाव बना सकता है, जबकि वह खुद अपनी जरूरतों के लिए क्रेमलिन पर निर्भर हो? उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका और यूरोप अब भी रूस से व्यापार कर रहे हैं, जिसमें वे यूरेनियम और पैलेडियम का आयात रूस से करते हैं। डॉ. मित्तल ने राष्ट्रपति ट्रंप के हालिया बयान, जिसमें उन्होंने भारत को डेड इकोनॉमी कहा था, को कड़े शब्दों में खारिज किया। उन्होंने बताया कि भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। पत्र में लिखा गया कि अमेरिकी कंपनियां हर साल भारतीय बाजार से 80 अरब डॉलर से ज्यादा कमाती हैं और अमेरिकी डिजिटल अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा उस कोड पर चलता है जो भारत में लिखा जाता है। पत्र में यह भी याद दिलाया गया कि सिर्फ 2022 में ही भारत के एविएशन सेक्टर ने अमेरिकी कंपनियों के साथ 2.45 अरब डॉलर के सौदे किए। पत्र में इतिहास का जिक्र करते हुए बताया गया कि 7 अगस्त 1905 के स्वदेशी आंदोलन की आज वर्षगांठ है। डॉ. मित्तल ने चेतावनी दी कि अगर आज 146 करोड़ भारतीय उसी भावना के साथ अमेरिकी समानों का बहिष्कार कर स्वदेशी अपनाने लगे तो इसका असर अमेरिका पर भारत से कहीं ज्यादा गंभीर होगा। वसुधैव कुटुम्बकम (पूरी दुनिया एक परिवार है) की भावना के तहत डॉ. मित्तल ने अमेरिका से दबाव की बजाय सहयोग चुनने की अपील की। उन्होंने अंत में कहा कि भविष्य उन्हीं का होगा जो समझते हैं कि आगे बढ़ने का रास्ता कूटनीति और सहयोग है, न कि भारी-भरकम टैरिफ लगाना। राज्यसभा में अपनी बात रखते सांसद डॉ. अशोक कुमार मित्तल।

Aug 9, 2025 - 07:26
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हमने स्वदेशी अपनाया तो अमेरिका पर ज्यादा असर होगा : मित्तल
जालंधर | आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के फाउंडर, चांसलर डॉ. अशोक कुमार मित्तल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप को एक तीखा और प्रभावशाली खुला पत्र लिखा। यह कदम अमेरिका द्वारा भारतीय सामान पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने के बाद उठाया गया। भारत पर अब अमेरिकी टैरिफ 50% हो गया है। पत्र में डॉ. मित्तल ने इस फैसले को बहुत ज्यादा निराशाजनक बताया, खासकर इसलिए क्योंकि भारत और अमेरिका ने हमेशा मूल्यों पर आधारित (वैल्यू बेस्ड) साझेदारी और साझा रणनीतिक हित बनाए रखे हैं। उन्होंने सवाल किया, क्या कोई देश भारत पर रूस से व्यापार रोकने का दबाव बना सकता है, जबकि वह खुद अपनी जरूरतों के लिए क्रेमलिन पर निर्भर हो? उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका और यूरोप अब भी रूस से व्यापार कर रहे हैं, जिसमें वे यूरेनियम और पैलेडियम का आयात रूस से करते हैं। डॉ. मित्तल ने राष्ट्रपति ट्रंप के हालिया बयान, जिसमें उन्होंने भारत को डेड इकोनॉमी कहा था, को कड़े शब्दों में खारिज किया। उन्होंने बताया कि भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। पत्र में लिखा गया कि अमेरिकी कंपनियां हर साल भारतीय बाजार से 80 अरब डॉलर से ज्यादा कमाती हैं और अमेरिकी डिजिटल अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा उस कोड पर चलता है जो भारत में लिखा जाता है। पत्र में यह भी याद दिलाया गया कि सिर्फ 2022 में ही भारत के एविएशन सेक्टर ने अमेरिकी कंपनियों के साथ 2.45 अरब डॉलर के सौदे किए। पत्र में इतिहास का जिक्र करते हुए बताया गया कि 7 अगस्त 1905 के स्वदेशी आंदोलन की आज वर्षगांठ है। डॉ. मित्तल ने चेतावनी दी कि अगर आज 146 करोड़ भारतीय उसी भावना के साथ अमेरिकी समानों का बहिष्कार कर स्वदेशी अपनाने लगे तो इसका असर अमेरिका पर भारत से कहीं ज्यादा गंभीर होगा। वसुधैव कुटुम्बकम (पूरी दुनिया एक परिवार है) की भावना के तहत डॉ. मित्तल ने अमेरिका से दबाव की बजाय सहयोग चुनने की अपील की। उन्होंने अंत में कहा कि भविष्य उन्हीं का होगा जो समझते हैं कि आगे बढ़ने का रास्ता कूटनीति और सहयोग है, न कि भारी-भरकम टैरिफ लगाना। राज्यसभा में अपनी बात रखते सांसद डॉ. अशोक कुमार मित्तल।

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