परफ्यूम बेचने की आड़ में चल रहा था पोर्न कॉल:रैकेट की 40 महिलाकर्मी कॉल कर पोर्न पैकेज बेचती थीं, 150 से ज्यादा लोग कर्मचारी थे

गुजरात में सूरत पुलिस ने परफ्यूम की आड़ में ऑनलाइन पोर्न वीडियो बेचने के रैकेट का पर्दाफाश किया है। रैकेट में शामिल आठ आरोपियों इरफान अंसारी, विनेश कुमार पटेल, पुंजन पटेल, मयूर परमार, जैमिन सुरेश डोबरिया, श्वेतुल सुरेश डोबरिया, हर्ष पटेल और मिलन गोंडालिया को पुलिस ने गुरुवार को कोर्ट में पेश कर 14 दिन की रिमांड मांगी थी। बचाव पक्ष की दलीलों के बाद आरोपियों को 5 दिन की रिमांड पर भेज दिया गया। इंटरनेशनल साइट्स से पोर्न वीडियो डाउनलोड कर बेचते थे जांच में पता चला है कि आरोपियों ने पोर्न कॉल सेंटर में 150 लोगों को जॉब पर रखा हुआ था। इनमें 40 महिलाकर्मी कॉल कर ग्राहकों को पोर्न पैकेज बेचती थीं। कर्मचारियों ने वीपीएन उपयोगकर्ताओं का उपयोग करके पोर्नहब, ब्रेजर्स और नॉटी अमेरिका सहित 90 से अधिक पोर्न वेबसाइटों से वीडियो अपने कंप्यूटर पर डाउनलोड किए और उन्हें वासाबी सर्वर पर अपलोड कर दिया। ये ग्राहकों से ऑनलाइन भुगतान लेते थे और एक लिंक भेजते थे। 1000 से ज्यादा लोगों ने यह पैकेज सब्सक्राइब किया था इस लिंक का उपयोग प्ले स्टोर में जेलीबीन एप्लिकेशन डाउनलोड करने के लिए किया गया था। इसके बाद ग्राहक उस पर पोर्न वीडियो देख सकते थे। खासतौर पर अगर कोई व्यक्ति मोबाइल या OTT प्लेटफॉर्म पर इस तरह का कंटेंट खोजता था, तो उसके डेटा के आधार पर कॉल सेंटर से उसे कॉल किया जाता था। 1000 से ज्यादा लोगों ने यह पैकेज सब्सक्राइब किया था। साथ ही, 7 अलग-अलग बैंकों के खातों में करीब 15 लाख रुपए के लेन-देन का पता चला है। पैसे ट्रांसफर करने के लिए भी फर्जी पार्टी अकाउंट्स का इस्तेमाल कर रहे थे। दो OTT प्लेटफॉर्म भी बनाए थे आरोपी ग्राहकों के व्हाट्सएप मोबाइल नंबरों पर एनओएम-31 नामक एप्लिकेशन का डेमो भेज रहे थे और जांच से पता चला कि उन्होंने इस डेमो के लिए इंस्टाग्राम और फेसबुक उपयोगकर्ताओं के मॉडल और फोटो का इस्तेमाल किया और ऐसे विज्ञापन बनाए जो लोगों को एनओएम-31 की सदस्यता लेने और साइट पर जाने के लिए आकर्षित करते थे। आरोपियों ने Just Visionary Entertainment” और “Four Pirates Ventures Pvt. Ltd.” नाम से दो OTT प्लेटफॉर्म भी बनाए थे। रोज 25 से 30 हजार रुपए कमाते थे दस्तावेज: अपराध स्थल से कई बैंक खातों की जानकारी, चेकबुक और एटीएम/क्रेडिट कार्ड बरामद हुए हैं, जिनके बारे में आरोपी टालमटोल कर रहे हैं। फर्जी खाते: आरोपियों ने अपने कर्मचारियों के नाम पर बैंक खाते खुलवाकर पोर्न वीडियो से होने वाली कमाई उन्हीं खातों में जमा करवाई और बाद में पैसे निकाल लिए। इसकी भी जांच की जानी है। वीडियो: एप्लिकेशन में मिले पोर्न वीडियो किस साइट से डाउनलोड किए गए, इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। साथ ही, पूरे सेक्स रैकेट की भी जांच की जानी है। खरीदार: आशंका है कि इस एप्लिकेशन को 18 साल से कम उम्र के बच्चे भी खरीदते रहे होंगे। 2020 से गोरखधंधा: यह गोरखधंधा वर्ष 2020 से चल रहा है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि इससे उन्हें कितना आर्थिक लाभ हुआ। इस पैसे से कोई संपत्तियां खरीदी? नया ऑफिस भी इसी पैसे से खरीदने की संभावना है। लिंक की भी जांच: जांच में यह भी देखा जाएगा कि क्या आरोपी साइबर अपराध जैसे ब्लैकमेलिंग, फोटो मॉर्फिंग और डिजिटल अरेस्ट जैसे मामलों में शामिल रहे हैं या नहीं। विज्ञापनों में जो मॉडल्स दिखाए, उनसे सहमति ली या नहीं? सरकारी पक्ष की ओर से कहा गया कि आरोपी ‘एनओएम-31’ नाम के एप के डेमो में इंस्टाग्राम और फेसबुक पर विज्ञापन देने वाली मॉडल्स की तस्वीरों का इस्तेमाल करते थे। यह जांच की जानी बाकी है कि इन मॉडल्स से परमिशन ली थी या नहीं?

Jun 1, 2025 - 00:50
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परफ्यूम बेचने की आड़ में चल रहा था पोर्न कॉल:रैकेट की 40 महिलाकर्मी कॉल कर पोर्न पैकेज बेचती थीं, 150 से ज्यादा लोग कर्मचारी थे
गुजरात में सूरत पुलिस ने परफ्यूम की आड़ में ऑनलाइन पोर्न वीडियो बेचने के रैकेट का पर्दाफाश किया है। रैकेट में शामिल आठ आरोपियों इरफान अंसारी, विनेश कुमार पटेल, पुंजन पटेल, मयूर परमार, जैमिन सुरेश डोबरिया, श्वेतुल सुरेश डोबरिया, हर्ष पटेल और मिलन गोंडालिया को पुलिस ने गुरुवार को कोर्ट में पेश कर 14 दिन की रिमांड मांगी थी। बचाव पक्ष की दलीलों के बाद आरोपियों को 5 दिन की रिमांड पर भेज दिया गया। इंटरनेशनल साइट्स से पोर्न वीडियो डाउनलोड कर बेचते थे जांच में पता चला है कि आरोपियों ने पोर्न कॉल सेंटर में 150 लोगों को जॉब पर रखा हुआ था। इनमें 40 महिलाकर्मी कॉल कर ग्राहकों को पोर्न पैकेज बेचती थीं। कर्मचारियों ने वीपीएन उपयोगकर्ताओं का उपयोग करके पोर्नहब, ब्रेजर्स और नॉटी अमेरिका सहित 90 से अधिक पोर्न वेबसाइटों से वीडियो अपने कंप्यूटर पर डाउनलोड किए और उन्हें वासाबी सर्वर पर अपलोड कर दिया। ये ग्राहकों से ऑनलाइन भुगतान लेते थे और एक लिंक भेजते थे। 1000 से ज्यादा लोगों ने यह पैकेज सब्सक्राइब किया था इस लिंक का उपयोग प्ले स्टोर में जेलीबीन एप्लिकेशन डाउनलोड करने के लिए किया गया था। इसके बाद ग्राहक उस पर पोर्न वीडियो देख सकते थे। खासतौर पर अगर कोई व्यक्ति मोबाइल या OTT प्लेटफॉर्म पर इस तरह का कंटेंट खोजता था, तो उसके डेटा के आधार पर कॉल सेंटर से उसे कॉल किया जाता था। 1000 से ज्यादा लोगों ने यह पैकेज सब्सक्राइब किया था। साथ ही, 7 अलग-अलग बैंकों के खातों में करीब 15 लाख रुपए के लेन-देन का पता चला है। पैसे ट्रांसफर करने के लिए भी फर्जी पार्टी अकाउंट्स का इस्तेमाल कर रहे थे। दो OTT प्लेटफॉर्म भी बनाए थे आरोपी ग्राहकों के व्हाट्सएप मोबाइल नंबरों पर एनओएम-31 नामक एप्लिकेशन का डेमो भेज रहे थे और जांच से पता चला कि उन्होंने इस डेमो के लिए इंस्टाग्राम और फेसबुक उपयोगकर्ताओं के मॉडल और फोटो का इस्तेमाल किया और ऐसे विज्ञापन बनाए जो लोगों को एनओएम-31 की सदस्यता लेने और साइट पर जाने के लिए आकर्षित करते थे। आरोपियों ने Just Visionary Entertainment” और “Four Pirates Ventures Pvt. Ltd.” नाम से दो OTT प्लेटफॉर्म भी बनाए थे। रोज 25 से 30 हजार रुपए कमाते थे दस्तावेज: अपराध स्थल से कई बैंक खातों की जानकारी, चेकबुक और एटीएम/क्रेडिट कार्ड बरामद हुए हैं, जिनके बारे में आरोपी टालमटोल कर रहे हैं। फर्जी खाते: आरोपियों ने अपने कर्मचारियों के नाम पर बैंक खाते खुलवाकर पोर्न वीडियो से होने वाली कमाई उन्हीं खातों में जमा करवाई और बाद में पैसे निकाल लिए। इसकी भी जांच की जानी है। वीडियो: एप्लिकेशन में मिले पोर्न वीडियो किस साइट से डाउनलोड किए गए, इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। साथ ही, पूरे सेक्स रैकेट की भी जांच की जानी है। खरीदार: आशंका है कि इस एप्लिकेशन को 18 साल से कम उम्र के बच्चे भी खरीदते रहे होंगे। 2020 से गोरखधंधा: यह गोरखधंधा वर्ष 2020 से चल रहा है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि इससे उन्हें कितना आर्थिक लाभ हुआ। इस पैसे से कोई संपत्तियां खरीदी? नया ऑफिस भी इसी पैसे से खरीदने की संभावना है। लिंक की भी जांच: जांच में यह भी देखा जाएगा कि क्या आरोपी साइबर अपराध जैसे ब्लैकमेलिंग, फोटो मॉर्फिंग और डिजिटल अरेस्ट जैसे मामलों में शामिल रहे हैं या नहीं। विज्ञापनों में जो मॉडल्स दिखाए, उनसे सहमति ली या नहीं? सरकारी पक्ष की ओर से कहा गया कि आरोपी ‘एनओएम-31’ नाम के एप के डेमो में इंस्टाग्राम और फेसबुक पर विज्ञापन देने वाली मॉडल्स की तस्वीरों का इस्तेमाल करते थे। यह जांच की जानी बाकी है कि इन मॉडल्स से परमिशन ली थी या नहीं?

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