आध्यात्मिक रूप से मना रक्षाबंधन:लखनऊ के विपुल खंड सेवा केंद्र में पवित्रता और स्नेह के बंधन पर दिया गया विशेष बल

लखनऊ के गोमती नगर स्थित विपुल खंड सेवा केंद्र में रक्षाबंधन का पर्व आध्यात्मिक गरिमा और उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर पवित्रता, आत्मिक शक्ति और स्नेह के बंधन को अनुभव कराने पर विशेष बल दिया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ रक्षाबंधन के आध्यात्मिक रहस्य की व्याख्या से हुआ। राजयोगिनी राधा दीदी ने बताया कि यह पर्व आत्मा को पवित्रता, सत्य और परमात्मा से अटूट नाते के बंधन में बांधने का स्मृति-दिवस है। उन्होंने समझाया कि यह रक्षा सूत्र मन को विकारों से बचाने का संकल्प है। आत्मा का असली कवच सच्चा बंधन राधा दीदी ने कहा, मनमनाभव अर्थात जीवन के सभी कार्यों के बीच मन को परमपिता से जोड़े रखना ही आत्मा का असली कवच है। सच्चा बंधन है, जो हमें शरीरजनित आसक्तियों से मुक्त करे।इसके बाद राजयोगिनी स्वर्णलता दीदी ने मधुर कमेंट्री के माध्यम से योग कराया। उन्होंने उपस्थित लोगों को शिव से शक्ति और शांति का प्रत्यक्ष अनुभव कराया। योग सत्र के बाद बहनों ने सभी को पवित्र रक्षा सूत्र बांधा। सभी को परमात्मा के स्नेह से भरे वरदान दिए गए। इनमें जीवन में सुख, शांति, निरंतर प्रगति और आत्मिक शक्ति की कामना शामिल थी। अंत में प्रसाद वितरण हुआ, जहां सभी ने प्रेम और कृतज्ञता के भाव से इस पावन पर्व को मनाया। ये लोग शामिल हुए कार्यक्रम में कई विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। इनमें IMRT के अध्यक्ष डॉ. बंसल, सेवानिवृत्त डीजी फायर अविनाश, रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अजय एवं लाखा शामिल थे। सभी ने इस आयोजन की सराहना की। उन्होंने इसे आध्यात्मिक जागृति का अद्भुत अवसर बताया।

Aug 11, 2025 - 00:20
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आध्यात्मिक रूप से मना रक्षाबंधन:लखनऊ के विपुल खंड सेवा केंद्र में पवित्रता और स्नेह के बंधन पर दिया गया विशेष बल
लखनऊ के गोमती नगर स्थित विपुल खंड सेवा केंद्र में रक्षाबंधन का पर्व आध्यात्मिक गरिमा और उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर पवित्रता, आत्मिक शक्ति और स्नेह के बंधन को अनुभव कराने पर विशेष बल दिया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ रक्षाबंधन के आध्यात्मिक रहस्य की व्याख्या से हुआ। राजयोगिनी राधा दीदी ने बताया कि यह पर्व आत्मा को पवित्रता, सत्य और परमात्मा से अटूट नाते के बंधन में बांधने का स्मृति-दिवस है। उन्होंने समझाया कि यह रक्षा सूत्र मन को विकारों से बचाने का संकल्प है। आत्मा का असली कवच सच्चा बंधन राधा दीदी ने कहा, मनमनाभव अर्थात जीवन के सभी कार्यों के बीच मन को परमपिता से जोड़े रखना ही आत्मा का असली कवच है। सच्चा बंधन है, जो हमें शरीरजनित आसक्तियों से मुक्त करे।इसके बाद राजयोगिनी स्वर्णलता दीदी ने मधुर कमेंट्री के माध्यम से योग कराया। उन्होंने उपस्थित लोगों को शिव से शक्ति और शांति का प्रत्यक्ष अनुभव कराया। योग सत्र के बाद बहनों ने सभी को पवित्र रक्षा सूत्र बांधा। सभी को परमात्मा के स्नेह से भरे वरदान दिए गए। इनमें जीवन में सुख, शांति, निरंतर प्रगति और आत्मिक शक्ति की कामना शामिल थी। अंत में प्रसाद वितरण हुआ, जहां सभी ने प्रेम और कृतज्ञता के भाव से इस पावन पर्व को मनाया। ये लोग शामिल हुए कार्यक्रम में कई विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। इनमें IMRT के अध्यक्ष डॉ. बंसल, सेवानिवृत्त डीजी फायर अविनाश, रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अजय एवं लाखा शामिल थे। सभी ने इस आयोजन की सराहना की। उन्होंने इसे आध्यात्मिक जागृति का अद्भुत अवसर बताया।

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