निर्दोष साबित हुए फौजी से मिलेंगे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष:55 दिन पुलिस हिरासत में रहे विमल कश्यप, हाईकोर्ट की फटकार के बाद छोड़ा गया
सीतापुर में 8 मार्च को हुए बहुचर्चित पत्रकार हत्याकांड मामले में शक के आधार पर 55 दिनों तक पुलिस हिरासत में रखे गए रिटायर्ड फौजी विमल कश्यप का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। लखनऊ हाईकोर्ट की फटकार के बाद आईजी लखनऊ ने विमल को कोर्ट में पेश करते हुए उन्हें मां के सुपुर्द किया था। रविवार को दोपहर 12:30 बजे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय महोली तहसील स्थित विमल कश्यप के आवास पर पहुंचेंगे और उनसे मुलाकात करेंगे। उनके साथ कांग्रेस सांसद राकेश राठौर भी मौजूद रहेंगे। यह दौरा राजनीतिक दृष्टिकोण से अहम माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता मीडिया से बातचीत करेंगे और इस मौके पर वह भाजपा सरकार और पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर सकते हैं। यह मामला विपक्ष के लिए सरकार के खिलाफ जनता के बीच जाने का एक बड़ा मुद्दा बनता नजर आ रहा है। फिलहाल विमल कश्यप अपने घर पर हैं और मानसिक रूप से काफी आहत बताए जा रहे हैं। उनके परिजनों का कहना है कि बिना किसी ठोस सबूत के उन्हें हिरासत में रखा गया, जो मानवाधिकारों का उल्लंघन है। हालांकि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने कोर्ट ने व्यक्तिगत हलफनामा भी दाखिल किया था।

सीतापुर में 8 मार्च को हुए बहुचर्चित पत्रकार हत्याकांड मामले में शक के आधार पर 55 दिनों तक पुलिस हिरासत में रखे गए रिटायर्ड फौजी विमल कश्यप का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। लखनऊ हाईकोर्ट की फटकार के बाद आईजी लखनऊ ने विमल को कोर्ट में पेश करते हुए उन्हें मां के सुपुर्द किया था। रविवार को दोपहर 12:30 बजे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय महोली तहसील स्थित विमल कश्यप के आवास पर पहुंचेंगे और उनसे मुलाकात करेंगे। उनके साथ कांग्रेस सांसद राकेश राठौर भी मौजूद रहेंगे। यह दौरा राजनीतिक दृष्टिकोण से अहम माना जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता मीडिया से बातचीत करेंगे और इस मौके पर वह भाजपा सरकार और पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर सकते हैं। यह मामला विपक्ष के लिए सरकार के खिलाफ जनता के बीच जाने का एक बड़ा मुद्दा बनता नजर आ रहा है। फिलहाल विमल कश्यप अपने घर पर हैं और मानसिक रूप से काफी आहत बताए जा रहे हैं। उनके परिजनों का कहना है कि बिना किसी ठोस सबूत के उन्हें हिरासत में रखा गया, जो मानवाधिकारों का उल्लंघन है। हालांकि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने कोर्ट ने व्यक्तिगत हलफनामा भी दाखिल किया था।
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