पिता बोले– 6 इंच पानी में हमारे बच्चे कैसे डूबे?:मेरठ में 'गायब' होने के 18 घंटे बाद मिलीं 3 बच्चों की लाशें

मेरठ में 3 अगस्त को 3 बच्चे घर के बाहर खेलते हुए लापता हो गए। 18 घंटे के बाद घर के पास खाली प्लॉट के गड्‌ढे में भरे पानी के बीच तीनों बच्चों की लाशें मिलीं। पुलिस इस घटना को हादसा मान रही थी। लेकिन, पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर ने कहा कि मरने वालों में शामिल 1 बच्ची मानवी की गर्दन की हड्‌डी टूटी थी। बच्चों के फेफड़ों में पानी भरा था। इसके बाद पुलिस की जांच 2 डायरेक्शन में मुड़ गई। पहला- मानवी की गला दबाकर हत्या की गई। बाकी दोनों बच्चों को पानी में डुबोकर मार डाला गया। लाशें खाली प्लॉट में भरे पानी में फेंक दी गईं। दूसरा- खेलते हुए बच्चे इस जगह तक पहुंचे। मानवी गड्ढे में गिरी, उसकी गर्दन की हड्‌डी टूट गई। बाकी दोनों बच्चे भी खुद को संभाल नहीं सके और पानी में उनकी सांसें थम गई। क्राइम सीन ऐसा है कि हादसे की गुंजाइश कम ही लग रही। दरअसल, खाली प्लॉट में एक गड्‌ढा है, जिसकी गहराई 5 फीट तक हैं। लेकिन, बच्चों की बॉडी यहां से 50 मीटर दूर मिली है। जिस पानी में बच्चों की बॉडी उतरा रही थी, उसकी गहराई सिर्फ आधा फीट है। जबकि, बच्चों की हाइट 2.5 से लेकर 4 फीट तक है। ऐसे में डूबने की आशंका कम ही है। दैनिक भास्कर टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट... पहले पुलिस जांच की बात टीमें दोबारा क्राइम सीन पर पहुंचीं, छानबीन की केस में आए यूटर्न के बाद 7 अगस्त को मेरठ पुलिस और फोरेंसिक टीम ने एक बार फिर क्राइम सीन (खाली प्लॉट) पर पहुंचकर जांच की। परिवार और उस एरिया में रहने वाले 20-25 लोगों के दोबारा बयान दर्ज किए। इनमें पड़ोसी और प्लॉट के आसपास काम करने वाले मजदूर भी शामिल हैं। इसका फायदा भी हुआ। पुलिस को 1 सीसीटीवी फुटेज मिला, जिसमें तीनों बच्चे आते-जाते और खेलते हुए दिख रहे हैं। दुकान के अंदर से सामान खरीदते हुए भी दिख रहे हैं। अब पुलिस इस सवाल का जवाब तलाश कर रही है कि बच्चे खाली प्लॉट तक कैसे पहुंचे? फिर यहां क्या हुआ कि बच्चों की लाशें मिलीं? इस केस की छानबीन के लिए सीओ सरधना, स्वाट टीम, फोरेंसिक टीम और जानी थाने की पुलिस को लगाया गया है। टीमें इन 3 पॉइंट पर जांच कर रहीं... 1- पूरे एरिया में तंत्र क्रिया कौन-कौन करता है? 2- बच्चों को आखिरी बार किसने-किसने देखा? 3- मौत से 1 हफ्ता पहले क्या किसी बच्चे का कोई झगड़ा भी हुआ था? चूंकि क्राइम सीन पर कोई सीसीटीवी नहीं मिला है, इसलिए पुलिस का चैलेंज बढ़ गया है। अब चलते हैं पीड़ित परिवार के घर अपने मासूम बच्चों को खोने वाले परिवारों का दर्द बांटने के लिए हम सबसे पहले सिवासखास पहुंचे। यहां पता चला कि इन परिवारों में 4 दिन बाद भी चूल्हे नहीं जल रहे। परिवार के सदस्य बदहवास से हैं। उनकी यही मांग है कि हमें कुछ नहीं चाहिए, सिर्फ हमारे बच्चों के कातिल अरेस्ट होने चाहिएं। सिवालखास के लोगों ने बताया कि इस घटना में हिम्मत सिंह, जितेंद्र कुमार और मोनू के बच्चों की मौत हुई है। हिम्मत शटरिंग का काम करते हैं, जिनके बेटे रितिक की मौत हुई। वहीं, माल ढुलाई का काम करने वाले मोनू ने अपने बेटे शिवांश को खो दिया। जबकि पेशे से राजमिस्त्री जितेंद्र की बेटी मानवी की मौत हो गई। परिवारवालों ने बताया कि 3 अगस्त (रविवार) को खेलते हुए तीनों बच्चे अचानक लापता हुए थे। 4 घंटे बाद भी जब बच्चे लौटे नहीं, तो खोजबीन शुरू हुई। पूरे कस्बे में बच्चों को ढूंढा गया, मगर कुछ पता नहीं चला। खानपुर, लोहड्‌डा, पस्तरा, नंगला, जानी, कुराली और महपा तक हम लोग पहुंचे, मगर बच्चों का कुछ पता नहीं चला। करीब 18 घंटे बाद तीनों की बॉडी मिली 4 अगस्त (सोमवार) की सुबह 6.30 बजे हल्ला मचा। मदरसे में पढ़ने जा रहे कुछ बच्चों ने एक खाली प्लॉट में भरे बारिश के पानी में बच्चों की बॉडी को उतराते देखी। लोग दौड़ पड़े। बच्चों को बाहर निकाला गया। रितिक, मानवी और शिवांश उर्फ शिब्बू की सांसें थम चुकी है। उनकी लाशें 18 घंटे बाद मिल सकीं। शिवांश की मां शीतल का बहुत बुरा हाल है। वह बार-बार बेहोश हो जाती है। हमने उनसे बात की, तो बेटे को खोने का दर्द सामने आ गया। बोली- शिवांश पैसे लेकर चीज लाने निकला था। गाना गाकर चिढ़ा रहा था...बाप तो बाप रहेगा। मेरे पापा ने पैसे दे दिए, तू मत दे। मैंने खाना खाने के बहाने उसे रोकना चाहा, लेकिन वह चला गया। मैं पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हूं। सविता बोली- मेरे बच्चों को इंसाफ दिला दो हमने मानवी की मां सविता से भी बात की। वह रोते हुए बच्चों के लिए इंसाफ की भीख मांग रही थी। बोली- हमारे बच्चों को मारने वाले को हमें सौंप दो। उससे पूछेंगे कि मासूमों ने उसका क्या बिगाड़ा था? रोज ही बच्चे बाहर खेलते थे। क्या पता था कि ऐसे चले जाएंगे? दोनों बहन-भाई साथ ही रहते थे। दोनों को ही उठा लिया। केवल 100 मीटर दूर मिले तीनों के शव सविता कहती है- गांव के लोगों की टोलियां तीनों बच्चों को गांव-गांव तलाश रही थीं। अपने गांव को हम पहले ही खंगाल चुके थे। जंगल एरिया तक छान मारा, लेकिन बच्चे नहीं मिले। फिर सुबह महज 100-150 मीटर की दूरी पर ही तीनों कैसे मिल गए? जबकि, इस जगह को पहले देखा जा चुका था। उनका साफ कहना है कि जब गांव के लोग बच्चों को तलाश रहे थे, तभी कातिल ने शव वहां लाकर फेंक दिए। रितिक की मां भी गहरे सदमे में रितिक 2 भाई और 3 बहनों में सबसे छोटा था। वह सभी का लाडला था। पिता हिम्मत सिंह शटरिंग का काम करते हैं। वह हर सुबह घर से निकल जाते हैं। मां आरती ही सभी बच्चों को संभालती हैं। आरती सदमे में है, कुछ बोल नहीं पा रही। बस अपने पास आने वाले हर व्यक्ति को टकटकी लगाए देखती रहती है। हिम्मत सिंह की हिम्मत भी लाडले बेटे को खोकर जवाब देती दिख रही है। ---------------------------- यह खबर भी पढ़ें : ऐशन्या बोलीं- आंखों के सामने पति को मारा…दृश्य भूलता नहीं, प्रेमानंद महाराज का जवाब- हर इंसान की उम्र निश्चित, काल ऐसे संयोग बना देता है पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए शुभम द्विवेदी के परिवार ने मथुरा में प्रेमानंदजी महाराज से मुलाकात की। इस दौरान शुभम की पत्नी

Aug 8, 2025 - 06:57
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पिता बोले– 6 इंच पानी में हमारे बच्चे कैसे डूबे?:मेरठ में 'गायब' होने के 18 घंटे बाद मिलीं 3 बच्चों की लाशें
मेरठ में 3 अगस्त को 3 बच्चे घर के बाहर खेलते हुए लापता हो गए। 18 घंटे के बाद घर के पास खाली प्लॉट के गड्‌ढे में भरे पानी के बीच तीनों बच्चों की लाशें मिलीं। पुलिस इस घटना को हादसा मान रही थी। लेकिन, पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर ने कहा कि मरने वालों में शामिल 1 बच्ची मानवी की गर्दन की हड्‌डी टूटी थी। बच्चों के फेफड़ों में पानी भरा था। इसके बाद पुलिस की जांच 2 डायरेक्शन में मुड़ गई। पहला- मानवी की गला दबाकर हत्या की गई। बाकी दोनों बच्चों को पानी में डुबोकर मार डाला गया। लाशें खाली प्लॉट में भरे पानी में फेंक दी गईं। दूसरा- खेलते हुए बच्चे इस जगह तक पहुंचे। मानवी गड्ढे में गिरी, उसकी गर्दन की हड्‌डी टूट गई। बाकी दोनों बच्चे भी खुद को संभाल नहीं सके और पानी में उनकी सांसें थम गई। क्राइम सीन ऐसा है कि हादसे की गुंजाइश कम ही लग रही। दरअसल, खाली प्लॉट में एक गड्‌ढा है, जिसकी गहराई 5 फीट तक हैं। लेकिन, बच्चों की बॉडी यहां से 50 मीटर दूर मिली है। जिस पानी में बच्चों की बॉडी उतरा रही थी, उसकी गहराई सिर्फ आधा फीट है। जबकि, बच्चों की हाइट 2.5 से लेकर 4 फीट तक है। ऐसे में डूबने की आशंका कम ही है। दैनिक भास्कर टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट... पहले पुलिस जांच की बात टीमें दोबारा क्राइम सीन पर पहुंचीं, छानबीन की केस में आए यूटर्न के बाद 7 अगस्त को मेरठ पुलिस और फोरेंसिक टीम ने एक बार फिर क्राइम सीन (खाली प्लॉट) पर पहुंचकर जांच की। परिवार और उस एरिया में रहने वाले 20-25 लोगों के दोबारा बयान दर्ज किए। इनमें पड़ोसी और प्लॉट के आसपास काम करने वाले मजदूर भी शामिल हैं। इसका फायदा भी हुआ। पुलिस को 1 सीसीटीवी फुटेज मिला, जिसमें तीनों बच्चे आते-जाते और खेलते हुए दिख रहे हैं। दुकान के अंदर से सामान खरीदते हुए भी दिख रहे हैं। अब पुलिस इस सवाल का जवाब तलाश कर रही है कि बच्चे खाली प्लॉट तक कैसे पहुंचे? फिर यहां क्या हुआ कि बच्चों की लाशें मिलीं? इस केस की छानबीन के लिए सीओ सरधना, स्वाट टीम, फोरेंसिक टीम और जानी थाने की पुलिस को लगाया गया है। टीमें इन 3 पॉइंट पर जांच कर रहीं... 1- पूरे एरिया में तंत्र क्रिया कौन-कौन करता है? 2- बच्चों को आखिरी बार किसने-किसने देखा? 3- मौत से 1 हफ्ता पहले क्या किसी बच्चे का कोई झगड़ा भी हुआ था? चूंकि क्राइम सीन पर कोई सीसीटीवी नहीं मिला है, इसलिए पुलिस का चैलेंज बढ़ गया है। अब चलते हैं पीड़ित परिवार के घर अपने मासूम बच्चों को खोने वाले परिवारों का दर्द बांटने के लिए हम सबसे पहले सिवासखास पहुंचे। यहां पता चला कि इन परिवारों में 4 दिन बाद भी चूल्हे नहीं जल रहे। परिवार के सदस्य बदहवास से हैं। उनकी यही मांग है कि हमें कुछ नहीं चाहिए, सिर्फ हमारे बच्चों के कातिल अरेस्ट होने चाहिएं। सिवालखास के लोगों ने बताया कि इस घटना में हिम्मत सिंह, जितेंद्र कुमार और मोनू के बच्चों की मौत हुई है। हिम्मत शटरिंग का काम करते हैं, जिनके बेटे रितिक की मौत हुई। वहीं, माल ढुलाई का काम करने वाले मोनू ने अपने बेटे शिवांश को खो दिया। जबकि पेशे से राजमिस्त्री जितेंद्र की बेटी मानवी की मौत हो गई। परिवारवालों ने बताया कि 3 अगस्त (रविवार) को खेलते हुए तीनों बच्चे अचानक लापता हुए थे। 4 घंटे बाद भी जब बच्चे लौटे नहीं, तो खोजबीन शुरू हुई। पूरे कस्बे में बच्चों को ढूंढा गया, मगर कुछ पता नहीं चला। खानपुर, लोहड्‌डा, पस्तरा, नंगला, जानी, कुराली और महपा तक हम लोग पहुंचे, मगर बच्चों का कुछ पता नहीं चला। करीब 18 घंटे बाद तीनों की बॉडी मिली 4 अगस्त (सोमवार) की सुबह 6.30 बजे हल्ला मचा। मदरसे में पढ़ने जा रहे कुछ बच्चों ने एक खाली प्लॉट में भरे बारिश के पानी में बच्चों की बॉडी को उतराते देखी। लोग दौड़ पड़े। बच्चों को बाहर निकाला गया। रितिक, मानवी और शिवांश उर्फ शिब्बू की सांसें थम चुकी है। उनकी लाशें 18 घंटे बाद मिल सकीं। शिवांश की मां शीतल का बहुत बुरा हाल है। वह बार-बार बेहोश हो जाती है। हमने उनसे बात की, तो बेटे को खोने का दर्द सामने आ गया। बोली- शिवांश पैसे लेकर चीज लाने निकला था। गाना गाकर चिढ़ा रहा था...बाप तो बाप रहेगा। मेरे पापा ने पैसे दे दिए, तू मत दे। मैंने खाना खाने के बहाने उसे रोकना चाहा, लेकिन वह चला गया। मैं पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हूं। सविता बोली- मेरे बच्चों को इंसाफ दिला दो हमने मानवी की मां सविता से भी बात की। वह रोते हुए बच्चों के लिए इंसाफ की भीख मांग रही थी। बोली- हमारे बच्चों को मारने वाले को हमें सौंप दो। उससे पूछेंगे कि मासूमों ने उसका क्या बिगाड़ा था? रोज ही बच्चे बाहर खेलते थे। क्या पता था कि ऐसे चले जाएंगे? दोनों बहन-भाई साथ ही रहते थे। दोनों को ही उठा लिया। केवल 100 मीटर दूर मिले तीनों के शव सविता कहती है- गांव के लोगों की टोलियां तीनों बच्चों को गांव-गांव तलाश रही थीं। अपने गांव को हम पहले ही खंगाल चुके थे। जंगल एरिया तक छान मारा, लेकिन बच्चे नहीं मिले। फिर सुबह महज 100-150 मीटर की दूरी पर ही तीनों कैसे मिल गए? जबकि, इस जगह को पहले देखा जा चुका था। उनका साफ कहना है कि जब गांव के लोग बच्चों को तलाश रहे थे, तभी कातिल ने शव वहां लाकर फेंक दिए। रितिक की मां भी गहरे सदमे में रितिक 2 भाई और 3 बहनों में सबसे छोटा था। वह सभी का लाडला था। पिता हिम्मत सिंह शटरिंग का काम करते हैं। वह हर सुबह घर से निकल जाते हैं। मां आरती ही सभी बच्चों को संभालती हैं। आरती सदमे में है, कुछ बोल नहीं पा रही। बस अपने पास आने वाले हर व्यक्ति को टकटकी लगाए देखती रहती है। हिम्मत सिंह की हिम्मत भी लाडले बेटे को खोकर जवाब देती दिख रही है। ---------------------------- यह खबर भी पढ़ें : ऐशन्या बोलीं- आंखों के सामने पति को मारा…दृश्य भूलता नहीं, प्रेमानंद महाराज का जवाब- हर इंसान की उम्र निश्चित, काल ऐसे संयोग बना देता है पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए शुभम द्विवेदी के परिवार ने मथुरा में प्रेमानंदजी महाराज से मुलाकात की। इस दौरान शुभम की पत्नी ऐशन्या ने कहा- महाराज मेरे पति को आंखों के सामने मार दिया गया। मैं उस दृश्य को भूल नहीं पा रही हूं। पता नहीं क्यों ऐसा हो गया? उस दिन से मेरे सामने वही मंजर बार-बार आता है। इसके बाद फूट-फूटकर रोने लगती हूं। परिवार वाले मुझे संभालते हैं। पढ़िए पूरी खबर...

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