UG कॉलेजों के शिक्षक नहीं करा सकेंगे PHD:लखनऊ विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल का निर्णय, विरोध में उतरा शिक्षक संघ
लखनऊ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध UG कॉलेजों के शिक्षक अब पीएचडी कराने के लिए एलिजिबल यानी अर्ह नहीं होंगे। कुलपति की अध्यक्षता में शुक्रवार को एकेडमिक काउंसिल यानी विद्या परिषद की बैठक में शोध अध्यादेश 2025 को मंजूरी दी गई। UGC की गाइडलाइंस के मुताबिक बिन्दुओं को शामिल किया गया है। इसको लखनऊ विश्वविद्यालय सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ (LAUCTA) के दर्जनों शिक्षकों ने निर्णय का विरोध किया। वहीं, इस संबंध में LU प्रशासन का कहना है कि यूजीसी की गाइडलाइंस का पालन हुआ है। विद्या परिषद की मंजूरी मिल गई है। इसे अब कार्य परिषद में रखा जाएगा। कार्य परिषद सदस्यों की संस्तुति के बाद कुलाधिपति को अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। डेढ़ दशक बाद डीलिट, डीएससी होगा शुरू विद्या परिषद की बैठक में डीलिट, डीएससी और एलएलडी अध्यादेश पर अनुमोदन प्रदान किया गया है। जिससे लगभग डेढ़ दशक यानी 15 वर्षों के बाद विश्वविद्यालय में यह तीनों कार्यक्रम शुरू किए जा सकेंगे। डीलिट साहित्य, मानविकी और सामाजिक विज्ञान जैसे क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान के लिए दिया जाता है। जबकि विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अभूतपूर्व अनुसंधान और खोजों के डीएससी मिलती है। इसी तरह एलएलडी कानून के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दी जाती है। बैठक में इन प्रस्तावों पर भी लगी मुहर छात्रहित में लिया गया निर्णय लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रवक्ता प्रो.दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि कुलपति की अध्यक्षता में हुई विद्या परिषद की बैठक में UGC गाइडलाइंस को छात्रहित में पालन करने का निर्णय लिया गया। जिसके मद्देनजर शोध अध्यादेश 2025 पारित हुआ।

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