इस प्रकार करें सावन के सोमवार की पूजा

भास्कर न्यूज | जालंधर चार अगस्त को सावन के आखिरी सोमवार को शहर के कई मंदिरों में सुबह से ही शिव भक्त जुटेंगे। इसे लेकर मंदिरों में तैयारियां जोरो- शोरों से चल रही हैं। सावन के सोमवार के दिन विधिपूर्वक पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। मुख्य पंडित विजय शास्त्री ने बताया कि इस दिन सावन शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि अनुराधा नक्षत्र ब्रह्म योग बन रहा है। इसके अलावा ब्रह्म योग के साथ इंद्र योग और रवि योग है। सोमवार को ब्रह्म, शिव और विष्णु तीनों का मिलन है। पंडित विजय शास्त्री ने बताया कि इस संयोग में की गई पूजा का पुण्य कभी खत्म नहीं होता है। इस दिन शिव जी की विशेष पूजा- भिषेक और मंत्र जाप के साथ ही दिनभर व्रत रखने की परंपरा है। शिव पुराण के मुताबिक, ऐसा करने से महापुण्य मिलता है। सावन सोमवार को सूरज डूबने के बाद प्रदोष काल में भगवान शिव और पार्वती की पूजा करनी चाहिए। इसलिए इन शुभ योगों में की गई शिव पूजा का शुभ फल कई गुना बढ़ जाता है। सुबह 11 बजे के बाद एकादशी शुरू हो जाएगी। इस दिन शिवलिंग की पूजा करने से त्रिदेवों की पूजा करने का फल मिलेगा, लेकिन एकादशी का व्रत पांच अगस्त को ही रखा जाएगा। सोमवार को शाम में शिव मंदिर में दीपदान करने की परंपरा है। इस दिन शिवजी को तिल के तेल का दीपक भी लगाने का विधान है। शिव पुराण में बताया गया है कि ऐसा करने से हर तरह की परेशानियां दूर होने लगती हैं। धर्म ग्रंथ के अनुसार, शिवलिंग के सामने तिल के तेल का दीपक जलाने से उम्र बढ़ती है और बीमारियों से राहत मिलने लगती है।

Aug 4, 2025 - 12:51
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इस प्रकार करें सावन के सोमवार की पूजा
भास्कर न्यूज | जालंधर चार अगस्त को सावन के आखिरी सोमवार को शहर के कई मंदिरों में सुबह से ही शिव भक्त जुटेंगे। इसे लेकर मंदिरों में तैयारियां जोरो- शोरों से चल रही हैं। सावन के सोमवार के दिन विधिपूर्वक पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। मुख्य पंडित विजय शास्त्री ने बताया कि इस दिन सावन शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि अनुराधा नक्षत्र ब्रह्म योग बन रहा है। इसके अलावा ब्रह्म योग के साथ इंद्र योग और रवि योग है। सोमवार को ब्रह्म, शिव और विष्णु तीनों का मिलन है। पंडित विजय शास्त्री ने बताया कि इस संयोग में की गई पूजा का पुण्य कभी खत्म नहीं होता है। इस दिन शिव जी की विशेष पूजा- भिषेक और मंत्र जाप के साथ ही दिनभर व्रत रखने की परंपरा है। शिव पुराण के मुताबिक, ऐसा करने से महापुण्य मिलता है। सावन सोमवार को सूरज डूबने के बाद प्रदोष काल में भगवान शिव और पार्वती की पूजा करनी चाहिए। इसलिए इन शुभ योगों में की गई शिव पूजा का शुभ फल कई गुना बढ़ जाता है। सुबह 11 बजे के बाद एकादशी शुरू हो जाएगी। इस दिन शिवलिंग की पूजा करने से त्रिदेवों की पूजा करने का फल मिलेगा, लेकिन एकादशी का व्रत पांच अगस्त को ही रखा जाएगा। सोमवार को शाम में शिव मंदिर में दीपदान करने की परंपरा है। इस दिन शिवजी को तिल के तेल का दीपक भी लगाने का विधान है। शिव पुराण में बताया गया है कि ऐसा करने से हर तरह की परेशानियां दूर होने लगती हैं। धर्म ग्रंथ के अनुसार, शिवलिंग के सामने तिल के तेल का दीपक जलाने से उम्र बढ़ती है और बीमारियों से राहत मिलने लगती है।

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