वाराणसी के 100 घरों को तोड़ने पर विवाद क्यों?:मकान टूटेंगे, मगर मुआवजा किसी को नहीं मिलेगा; चंद्रशेखर ने CM योगी को लिखा लेटर
हमारा मकान यहां पर 1938 से बना हुआ है। सबसे पहले दादा यहां बसे, अब तीसरी पीढ़ी रह रही है। अचानक PWD ने नोटिस लगा दी। लिखा- मकान अवैध है, ये जिस जगह बना है, वो जंगल भूमि है। इनसे पूछिए हर जगह एक वक्त तो जंगल ही था। मगर अब तो इंसान रह रहे हैं, मकान तोड़ रहे हैं, तो मुआवजा दीजिए। ये बताते हुए मनीष विश्वकर्मा परेशान दिखते हैं। वह कहते हैं- हमारे घर बौलिया तिराहा (लहरतारा) पर हैं। यहां से 31Km लंबी रोड का प्रोजेक्ट निकला है। 250 घर इसकी जद में हैं। PWD ने 100 घरों पर नोटिस चस्पा किए हैं। इसमें लिखा है कि यह जंगल भूमि पर बने हुए मकान हैं, इसलिए अवैध हैं। PWD अधिकारियों के मुताबिक, जब मकान अवैध हैं, तो मुआवजा नहीं दिया जाएगा। अब इस मामले में सियासत भी शुरू हो गई है। नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद ने CM योगी आदित्यनाथ को लेटर लिखकर जवाब मांगा है। उन्होंने लिखा- इस सदमे में वाराणसी के 1 व्यक्ति की मौत हो चुकी है। यहां लोग डरे हुए हैं, उनकी मदद होनी चाहिए। दैनिक भास्कर की टीम बौलिया तिराहा (लहरतारा) पहुंची। जिन लोगों को घर टूटने का दर्द सता रहा है, उनका दर्द जाना। पढ़िए रिपोर्ट… मुगलसराय तक 6 लेन रोड वाराणसी से होकर बन रही खबर में आगे बढ़ने से पहले आपको रोड का प्रोजेक्ट बता देते हैं, जिसको लेकर अब विवाद शुरू हो चुका है। दरअसल, पूरे वाराणसी की सड़कों को चौड़ा किया जा रहा है। इसी फेहरिस्त में मोहनसराय बाईपास से मुगलसराय तक 31 Km लंबी 6 लेन की रोड भी शामिल है। मोहनसराय बाईपास से बौलिया तिराहा तक यह रोड बन भी चुकी है। इसके बाद ये रोड वाराणसी शहर के अंदर दाखिल हो रही है। यहां कैंट स्टेशन, राजघाट, पड़ाव चौराहा होते हुए सड़क मुगलसराय तक जानी है। इस सड़क को बनाने के लिए स्टेट गर्वमेंट ने 197.40 करोड़ दिए हैं। बौलिया तिराहा के आगे रोड का कंस्ट्रक्शन रुक गया है। यहां सड़क आबादी के बीच से गुजर रही है, इसलिए सर्वे करने के बाद PWD ने 100 घरों पर लाल निशान लगाकर खुद ही अपने घर के कंस्ट्रक्शन तोड़ने का नोटिस लगा दिए हैं। यहां अनाउंसमेंट कराए जा रहे हैं। अब लोगों की बात हमें सालों बाद पता चल रहा कि मकान तो अवैध है... बौलिया तिराहा पहुंचने के बाद हमारी सबसे पहले मुलाकात यहां रहने वाले अनिल कुमार से हुई। वह कहते हैं-मेरा मकान बौलिया तिराहे पर है। PWD वाले हमें नोटिस देकर गए हैं। हमने जब मुआवजे के लिए पूछा तो कहा गया कि यह जमीन, जहां पर आप लोगों के मकान हैं, जंगल भूमि की सड़क के लिए छोड़ी गई थी। राजस्व के दस्तावेजों में यही लिखा है। आप लोग अवैध रूप से बसे हुए हैं। हम सब भाइयों का परिवार मिलकर कुल 20 लोग एक घर में रह रहे हैं। हम छोटी पूंजी वाले लोग हैं। मकान भी चला जाएगा तो हम सड़क पर आ जाएंगे। यहां रहने वाले लोग यही चाहते हैं कि सरकार हमारी इतनी मदद करें, ताकि यहां से हटने पर हम सिर छिपाने के लिए दूसरी जगह मकान बना सके। पहले कहा मुआवजा मिलेगा, अब कह रहे अवैध है यहीं रहने वाले मुन्नालाल कहते हैं- हमें भी मकान तोड़ने की नोटिस मिली है। PWD कर्मचारी हमारा आधार, पैन और पीला कार्ड सब ले गए। बताया कि मुआवजा मिलेगा। अचानक से नोटिस पकड़ाई तो उसमें लिख दिया 'जंगल भूमि' है। हमारे बाप-दादा ने यह मकान बनाया था। हम लोग गरीब हैं और इस मकान के अलावा हमारे पास कोई पूंजी नहीं है। इसके बाद हमारी मुलाकात लता गुप्ता से हुई। वह कहती हैं- हमारे घर में नोटिस चिपका दिया गया है। ये कर्मचारी आए दिन अलाउंस करते रहते हैं कि घर खाली कर दीजिए। जाए तो जाए कहां? ऐसा होता है क्या, कभी भी बता दिया कि मकान टूट जाएंगे, अब कोई आसरा नहीं बचा है। हम तो रास्ते पर आ गए हैं। इतने सालों में हमें ये नहीं पता था कि हम अतिक्रमण कर चुके हैं लता के पड़ोस में रहने वाले मनीष कुमार कहते हैं- PWD का नोटिस देखिए, इसमें तो हमारे मकानों को अतिक्रमण बता दिया गया है। इतने सालों में हमें ये नहीं पता था कि हम अतिक्रमण कर चुके हैं। हम लोगों के साथ अन्याय हो रहा है, क्योंकि घर से बेघर होकर हम लोग सड़क पर आ जाएंगे। यदि कुछ बचा भी तो सबका हिस्सा कैसे बंटेगा, ये समझ में नहीं आ रहा है। मालती देवी ने बताया- हमें नोटिस मिली है कि ये जंगल की आबादी की जमीन है। कई पीढ़ियों से हम लोग यहां रहे रहे हैं। एक कमरा सास-ससुर हमें देकर गए हैं। वो भी टूट जाएगा तो हम सड़क पर आ जाएंगे। रोज ही अलाउंस किया जा रहा है कि हट जाओ। हमारी मांग यही है कि अगर मुआवजा नहीं दे सकते हैं तो हम लोगों को रहने की व्यवस्था दें। सारे टैक्स भर रहे फिर कैसे अवैध हुए संतोष कुमार गुप्ता ने बताया- हम सभी सरकार को टैक्स दे रहे हैं। हाउस टैक्स, वाटर टैक्स, बिजली का बिल सब समय पर चुका रहे हैं। इसके बाद अचानक हमारे निर्माण अवैध बताए जा रहे हैं। नोटिस पकड़ाई जा रही है। तो क्या सरकार हमें हमारा वो सब पैसा वापस करेगी। या हमें कहीं विस्थापित करेंगी। सुमित गुप्ता ने बताया- हमारे मकान परदादा के जमाने के हैं। अधिकारी कह रहे हैं यहां जंगल था। क्या उस वक्त ये विभाग और अधिकारी नहीं थे। तब उन्होंने क्या ये नहीं देखा कि ये जंगल की सड़क भूमि है, तो अब हमें क्यों बेघर किया जा रहा है। यहां मकान खरीदने वाले हरिकेश सदमे में चल बसे बौलिया तिराहे के पास ही रहने वाले गणेश चंद्र गुप्ता का मकान भी अब नई रोड की जद में आ रहा है। उन्होंने बताया- 6 लेन रोड का काम चल रहा है, इसमें हमारे घर को अतिक्रमण बताकर नोटिस पकड़ाई गई है कि इसे खाली कर दीजिये। जबकि हम 60 साल से ज्यादा से यहां रह रहे हैं। गणेश कहते हैं- हाल ही में यहां मकान लेने वाले हरिकेश मिश्रा का 4 दिन पहले इसी परेशानी में देहांत हो गया। क्योंकि उन्होंने 65 लाख में साल भर पहले ही मकान लिया था। जिसका जिक्र नगीना सांसद ने अपने लेटर में भी किया है। सांसद ने जिस हरिकेश का जिक्र किया, वहां ताला लगा मिला नगीना सांसद चंद्रशेखर ने जिस हरिकेश मिश्रा का जिक्र अपने लेटर में किया। इस परिवार से मिलने के लिए अब एक बार फिर बौलिया तिराहे पर पहुंचे। यहां

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