प्रयागराज में लाशों की लाइन...4 घंटे में आ रहा नंबर:25 से ज्यादा घाट जलमग्न, विद्युत शवदाह गृह में परिजन लाश लेकर बैठे

प्रयागराज में बाढ़ से जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। लोगों आने-जाने के लिए नावों का सहारा ले रहे हैं। वहीं शवों के अंतिम संस्कार में भी काफी परेशानी हो रही हैं। सभी श्मशान घाट डूबने के बाद अब अंतिम संस्कार विद्युत शवदाह गृह में हो रहा है। इसके लिए शवदाह गृह में लाशों की लंबी लाइन लग रही है। लोगों को शवों के अंतिम संस्कार के लिए 4 से 5 घंटे तक लाइन में खड़ा होना पड़ रहा है। प्रयागराज में बाढ़ की इतनी भयावह स्थिति सालों बाद देखने को मिल रही है। गंगा-यमुना के 25 से ज्यादा घाट पूरी तरह से बाढ़ में समा गए। इसमें रसूलाबाद, दारागंज और फाफामऊ स्थित श्मशान घाट भी पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं। यही कारण है कि अंतिम संस्कार के लिए प्रयागराज और आसपास के जिलों से जो लोग शवों को ला रहे हैं, उन्हें घाट के बाहर से वापस कर दिया जा रहा है। जब वह विद्युत शवदाह गृह पहुंच रहे हैं तो घंटों कतार में लगने के बाद नंबर आ रहा है। पहले 5 और अब 25 से 30 लाशें जलाई जा रहीं तेलियरगंज के शंकर घाट स्थित विद्युत शवदाह गृह का संचालन नगर निगम की ओर से किया जाता है। यहां के केयर टेकर ज्वाला प्रसाद पुष्कर बताते हैं कि बाढ़ की वजह से श्मशान घाट डूब गए हैं। इसकी वजह से यहां ज्यादा शव आने लगे हैं। 2 दिन पहले तक यहां रोज करीब 5 लाशें आती थीं, लेकिन अब रोज 25 से 30 लाशें जलाई जा रही हैं। यहां पर 2 बिजली मशीनें एक साथ चलती हैं। एक लाश को जलाने में 40 से 45 मिनट का समय लग रहा है। यही स्थिति फाफामऊ घाट पर बने विद्युत शवदाह गृह का भी है। यहां भी रोज 20 से ज्यादा लाशें मशीन से जलाई जा रही हैं। दारागंज में घाट डूबने के बाद सड़क पर जल रही चिताएं सामान्य दिनों में शवों का अंतिम संस्कार दारागंज में शास्त्री ब्रिज के नीचे होता है। लेकिन, बाढ़ की वजह से पूरा घाट ही जलमग्न हो गया है। अब यहां बांध के पास सड़क पर ही लाशें जलाई जा रही हैं। यहां भी लोगों को अपने नंबर के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। यहां एक साथ 6 से 7 चिताएं जलाई जा रही हैं। सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। सड़क पर भी चिताएं जल रही हैं। आग की लपटें ऊपर तक उठती हैं। बिल्कुल पास में सड़क किनारे दुकानें भी हैं और लोग भी रहते हैं। इसी भीड़ वाली जगह में लाशों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। परिजन बोले- मजबूरी में यहां आए परविंद कुमार अपने परिचित के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए शंकर घाट स्थित बिजली शवदाह गृह पहुंचे थे। लोग शव को जमीन पर रखकर लाइन में बैठे थे। उन्होंने कहा- 2 घंटे से यहां इंतजार कर रहा हूं, लेकिन अभी तक शव जलाने के लिए नंबर नहीं आया। बताया गया कि अभी तीन शवों के बाद नंबर आएगा। कौड़िहार से आए राजेश कुमार कहते हैं कि रसूलाबाद घाट पर अंतिम संस्कार के लिए शव लाया था, लेकिन बाढ़ की वजह से वहां से बिजली शवदाह गृह आना पड़ा। मजबूरी में यहां अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है। बिजली शवदाह गृह में लाश जलाने का शुल्क 450 रुपए शंकर घाट पर चल रहे विद्युत शवदाह गृह का संचालन नगर निगम की ओर से किया जाता है। यहां एक लाश जलाने का निर्धारित शुल्क 450 रुपए है। पहले लाश लेकर आने वाले परिजनों को केयर टेकर से पर्ची कटवानी होती है। इसके बाद उन्हें टोकन नंबर दिया जाता है। बताया जाता है कि कितनी लाश के बाद उनका नंबर आएगा। प्रयागराज में गंगा-यमुना डेंजर लेवल से ऊपर बह रही प्रयागराज में गंगा और यमुना का जलस्तर डेंजर लेवल से ऊपर है। मंगलवार सुबह 8 बजे की रिपोर्ट के मुताबिक, नैनी में यमुना खतरे से 1.23 मीटर ऊपर बह रही है, यहां 8 सेमी घटकर जलस्तर 85.96 मीटर हो गया है। इसी तरह फाफामऊ में गंगा डेंजर लेवज से 1.36 मीटर ऊपर बह रही है, यहां जलस्तर 6 सेमी बढ़कर 86.09 मीटर पहुंचा है। छतनाग में भी गंगा डेंजर लेवल से 63 सेमी ऊपर बह रही, यहां जलस्तर 1 सेमी घटकर 85.37 मीटर पहुंच गया है। प्रयागराज में डेंजर लेवल 84.73 मीटर है। जलस्तर बढ़ने से गलियों में नाव चल रही है। विधि विधान से होना चाहिए अंतिम संस्कार श्रृंगवेरपुर पीठाधीश्वर जगद्गगुरु शांडिल्य महाराज ने कहा- हिंदू धर्म में लोग शवों को जलाते हैं, लेकिन बिजली मशीन से भी जलाना गलत नहीं है। इसके लिए पूरा विधि-विधान होना चाहिए। हालांकि, विधि-विधान पूरे नहीं किए जा रहे हैं। ----------------- ये खबर भी पढ़िए- काशी में मणिकर्णिका घाट पर लाशों की लाइन: छत पर साथ जल रहीं 10 चिताएं, लाशों के बीच अपनी बारी का इंतजार कर रहे लोग काशी का महा श्मशान मणिकर्णिका घाट गंगा में डूब गया है। घाट से करीब 15 फीट ऊपर छत पर दाह संस्कार किया जा रहा है। यहां अंतिम संस्कार के लिए लाशों की लाइन लग रही है। 5 से 6 घंटे इंतजार करना पड़ रहा है। बाढ़ और बारिश के कारण लकडियां गिली हैं। इनको जलने में 5 घंटे लग रहे हैं। लोग कफन से लिपटी लाशों के बीच बैठकर अपनी बारी का इंतजार करते दिखे। आलम यह है कि एक साथ 8-10 लाशें जलाई जा रही हैं। पढ़िए रिपोर्ट...

Aug 5, 2025 - 16:41
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प्रयागराज में लाशों की लाइन...4 घंटे में आ रहा नंबर:25 से ज्यादा घाट जलमग्न, विद्युत शवदाह गृह में परिजन लाश लेकर बैठे
प्रयागराज में बाढ़ से जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। लोगों आने-जाने के लिए नावों का सहारा ले रहे हैं। वहीं शवों के अंतिम संस्कार में भी काफी परेशानी हो रही हैं। सभी श्मशान घाट डूबने के बाद अब अंतिम संस्कार विद्युत शवदाह गृह में हो रहा है। इसके लिए शवदाह गृह में लाशों की लंबी लाइन लग रही है। लोगों को शवों के अंतिम संस्कार के लिए 4 से 5 घंटे तक लाइन में खड़ा होना पड़ रहा है। प्रयागराज में बाढ़ की इतनी भयावह स्थिति सालों बाद देखने को मिल रही है। गंगा-यमुना के 25 से ज्यादा घाट पूरी तरह से बाढ़ में समा गए। इसमें रसूलाबाद, दारागंज और फाफामऊ स्थित श्मशान घाट भी पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं। यही कारण है कि अंतिम संस्कार के लिए प्रयागराज और आसपास के जिलों से जो लोग शवों को ला रहे हैं, उन्हें घाट के बाहर से वापस कर दिया जा रहा है। जब वह विद्युत शवदाह गृह पहुंच रहे हैं तो घंटों कतार में लगने के बाद नंबर आ रहा है। पहले 5 और अब 25 से 30 लाशें जलाई जा रहीं तेलियरगंज के शंकर घाट स्थित विद्युत शवदाह गृह का संचालन नगर निगम की ओर से किया जाता है। यहां के केयर टेकर ज्वाला प्रसाद पुष्कर बताते हैं कि बाढ़ की वजह से श्मशान घाट डूब गए हैं। इसकी वजह से यहां ज्यादा शव आने लगे हैं। 2 दिन पहले तक यहां रोज करीब 5 लाशें आती थीं, लेकिन अब रोज 25 से 30 लाशें जलाई जा रही हैं। यहां पर 2 बिजली मशीनें एक साथ चलती हैं। एक लाश को जलाने में 40 से 45 मिनट का समय लग रहा है। यही स्थिति फाफामऊ घाट पर बने विद्युत शवदाह गृह का भी है। यहां भी रोज 20 से ज्यादा लाशें मशीन से जलाई जा रही हैं। दारागंज में घाट डूबने के बाद सड़क पर जल रही चिताएं सामान्य दिनों में शवों का अंतिम संस्कार दारागंज में शास्त्री ब्रिज के नीचे होता है। लेकिन, बाढ़ की वजह से पूरा घाट ही जलमग्न हो गया है। अब यहां बांध के पास सड़क पर ही लाशें जलाई जा रही हैं। यहां भी लोगों को अपने नंबर के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। यहां एक साथ 6 से 7 चिताएं जलाई जा रही हैं। सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। सड़क पर भी चिताएं जल रही हैं। आग की लपटें ऊपर तक उठती हैं। बिल्कुल पास में सड़क किनारे दुकानें भी हैं और लोग भी रहते हैं। इसी भीड़ वाली जगह में लाशों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। परिजन बोले- मजबूरी में यहां आए परविंद कुमार अपने परिचित के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए शंकर घाट स्थित बिजली शवदाह गृह पहुंचे थे। लोग शव को जमीन पर रखकर लाइन में बैठे थे। उन्होंने कहा- 2 घंटे से यहां इंतजार कर रहा हूं, लेकिन अभी तक शव जलाने के लिए नंबर नहीं आया। बताया गया कि अभी तीन शवों के बाद नंबर आएगा। कौड़िहार से आए राजेश कुमार कहते हैं कि रसूलाबाद घाट पर अंतिम संस्कार के लिए शव लाया था, लेकिन बाढ़ की वजह से वहां से बिजली शवदाह गृह आना पड़ा। मजबूरी में यहां अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है। बिजली शवदाह गृह में लाश जलाने का शुल्क 450 रुपए शंकर घाट पर चल रहे विद्युत शवदाह गृह का संचालन नगर निगम की ओर से किया जाता है। यहां एक लाश जलाने का निर्धारित शुल्क 450 रुपए है। पहले लाश लेकर आने वाले परिजनों को केयर टेकर से पर्ची कटवानी होती है। इसके बाद उन्हें टोकन नंबर दिया जाता है। बताया जाता है कि कितनी लाश के बाद उनका नंबर आएगा। प्रयागराज में गंगा-यमुना डेंजर लेवल से ऊपर बह रही प्रयागराज में गंगा और यमुना का जलस्तर डेंजर लेवल से ऊपर है। मंगलवार सुबह 8 बजे की रिपोर्ट के मुताबिक, नैनी में यमुना खतरे से 1.23 मीटर ऊपर बह रही है, यहां 8 सेमी घटकर जलस्तर 85.96 मीटर हो गया है। इसी तरह फाफामऊ में गंगा डेंजर लेवज से 1.36 मीटर ऊपर बह रही है, यहां जलस्तर 6 सेमी बढ़कर 86.09 मीटर पहुंचा है। छतनाग में भी गंगा डेंजर लेवल से 63 सेमी ऊपर बह रही, यहां जलस्तर 1 सेमी घटकर 85.37 मीटर पहुंच गया है। प्रयागराज में डेंजर लेवल 84.73 मीटर है। जलस्तर बढ़ने से गलियों में नाव चल रही है। विधि विधान से होना चाहिए अंतिम संस्कार श्रृंगवेरपुर पीठाधीश्वर जगद्गगुरु शांडिल्य महाराज ने कहा- हिंदू धर्म में लोग शवों को जलाते हैं, लेकिन बिजली मशीन से भी जलाना गलत नहीं है। इसके लिए पूरा विधि-विधान होना चाहिए। हालांकि, विधि-विधान पूरे नहीं किए जा रहे हैं। ----------------- ये खबर भी पढ़िए- काशी में मणिकर्णिका घाट पर लाशों की लाइन: छत पर साथ जल रहीं 10 चिताएं, लाशों के बीच अपनी बारी का इंतजार कर रहे लोग काशी का महा श्मशान मणिकर्णिका घाट गंगा में डूब गया है। घाट से करीब 15 फीट ऊपर छत पर दाह संस्कार किया जा रहा है। यहां अंतिम संस्कार के लिए लाशों की लाइन लग रही है। 5 से 6 घंटे इंतजार करना पड़ रहा है। बाढ़ और बारिश के कारण लकडियां गिली हैं। इनको जलने में 5 घंटे लग रहे हैं। लोग कफन से लिपटी लाशों के बीच बैठकर अपनी बारी का इंतजार करते दिखे। आलम यह है कि एक साथ 8-10 लाशें जलाई जा रही हैं। पढ़िए रिपोर्ट...

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