यूपी में यूरिया संग जबरन दे रहे फंगस की दवा:300 की बोरी 400 में पड़ रही; 10-11 घंटे इंतजार, फिर भी खाली हाथ किसान

‘आंखें खोलो, चलो उठो, खाद मिल जाएगी…ठीक है।’ सड़क पर बेहोश पड़ी पत्नी को गोद में लेकर गुहार लगा रहा ये शख्स कई दिन से खाद के लिए परेशान था। लाइन में लगी महिला गश खाकर गिरी और बेहोश हो गई। यूपी के एटा जिले से ये वीडियो सामने आया, लेकिन हालात हर जिले में लगभग ऐसे ही हैं। किसान खाद के लिए परेशान हैं। सुबह 6 बजे लाइन में लग जाते हैं और शाम को 5 बजे खाली हाथ लौट आते हैं। कहीं पुलिस अपनी सुरक्षा में खाद बंटवा रही तो कहीं सोसाइटियों पर ताला लगा हुआ है। सीतापुर और लखीमपुर खीरी में तो किसान बारिश के बीच छतरी लेकर खाद लेने के लिए लाइन में खड़े दिखे। खरीफ सीजन में खाद के जबरदस्त संकट के बीच ‘दैनिक भास्कर’ यूपी के कई जिलों में ग्राउंड जीरो पर पहुंचा। किसानों का दर्द जाना। फसल कैसे प्रभावित हो सकती है, इस पर एक्सपर्ट से बातचीत की। अफसरों से भी पूछा कि ये दिक्कत क्यों है? पढ़िए रिपोर्ट... पहले ये तीन तस्वीरें देखिए.... मुजफ्फरनगर में 500 किसानों के आधार कार्ड जमा कराए, कट्टे बांटे सिर्फ 250 दोपहर के एक बजे हैं। मुजफ्फरनगर जिले में ग्राम बघरा की बहुउद्दशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति पर किसानों की लंबी लाइन लगी हुई है। यहां पर लाइन में करीब 70–80 किसान हैंं। जबकि कुछ किसान आसपास छांव में बैठकर इंतजार कर रहे हैं। यहां हमने कई किसानों से बात की। नरोत्तमपुर माजरा गांव से आए आरिफ कहते हैं– सोसाइटी वालों ने 500 आधार कार्ड जमा कर लिए हैं, जबकि इनके पास सिर्फ 250 कट्टा (बोरी) यूरिया उपलब्ध है। एक आधार कार्ड पर दो कट्टा यूरिया दिया जा रहा। उसमें भी सोसाइटी वाले जबरन हर कट्टे के साथ फंगस की दवा थमा रहे। कुल बिल 350 रुपए वसूल रहे हैं। जबकि मार्केट में भी 350 रुपए का यूरिया का कट्टा बिक रहा है। फिर हम सोसाइटी में पूरे दिन लाइन में क्यों लगें? इससे अच्छा तो बिना लाइन में लगे मार्केट जाएं और 350 रुपए का कट्टा खरीद लें। खाद नहीं मिली तो पैदावार पर असर पड़ेगा मुजफ्फरनगर जिले में गांव गढ़ी देशराज के निवासी किसान रजनीश बताते हैं– खाद लेने के लिए 5 दिन से हर रोज लाइन में लग रहा हूं। सुबह 7 बजे आता हूं और शाम को 5 बजे वापस चला जाता हूं। सोसाइटी पर खाद ही नहीं आ रही है। जब भी खाद आने की सूचना मिलती है, मैं भागकर सोसाइटी पर आता हूं। यहां लंबी लाइन लगी होती है। जब मेरा नंबर आता है, तब तक खाद खत्म हो चुकी होती है। हमने 25 बीघा फसल बुवाई की है। अगर खाद नहीं मिलेगी तो पैदावार भी प्रभावित होगी। मैं सरकार से कहना चाहता हूं कि किसानों को खाद समय पर दिलाई जाए, जिससे फसल पैदावार बढ़िया हो। बुलंदशहर में इफको सेंटर पर 3 दिन से ताला बुलंदशहर जिले में कस्बा औरंगाबाद में इफको बाजार सेंटर पर पिछले 3 दिन से ताला लगा हुआ है। किसान आते हैं और दुकान का शटर गिरा देखकर वापस लौट जाते हैं। इस सेंटर पर खाद लेने के लिए आए सचिन ने बताया– हमें भी खाद नहीं मिली। किसान खाद के लिए बहुत परेशान हैं। एक अन्य किसान अमरपाल सिंह ने बताया– मैं कई दिन से सोसाइटी पर खाद लेने आ रहा हूं। ठोस जवाब नहीं मिल रहा कि खाद कब तक आएगी। परेशान हो गया हूं। आखिर कब तक गांव से सोसाइटी तक रोजाना चक्कर लगाऊं। मेरठ में हम दौराला, सरधना सहित कई सोसाइटी पर पहुंचे। यहां पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध मिली। हालांकि खरीदार किसानों की संख्या न के बराबर थी। किसानों ने बताया, यहां भी करीब 15 दिन पहले खाद की दिक्कत थी, लेकिन अब आपूर्ति बहाल हो गई है, इसलिए दिक्कत खत्म हो गई है। अमरोहा जिले के सैद नगली में सोसाइटी पर इतनी लंबी लाइन लगी थी कि किसान सड़क तक आ गए थे। संभल में कई–कई घंटे से लाइन में खड़े किसान संभल के हयातनगर स्थित इफको किसान सेवा केंद्र पर दोपहर 3 बजे भी किसानों की लाइन लगी हुई है। वे खाद पाने के लिए कई–कई घंटे से लाइन में खड़े होकर इंतजार कर रहे हैं। किसान रामेश्वर ने बताया– दुपहरी में पांच किलोमीटर दूर से खाद लेने के लिए आया हूं। एक घंटे से लाइन में खड़ा हूं। मुझे फिलहाल दो कट्टा खाद चाहिए। अब देखता हूं खाद मिलेगी भी या नहीं। इसी लाइन में लगे बिजेंद्र भी खाद लेने के लिए 6 किलोमीटर दूर से आए हैं। वो बताते हैं– पहले भी खाद लेकर गया हूं, तब इतना टाइम नहीं लगा। अभी खाद की दिक्कत ज्यादा हुई है। लाइन में लगाकर किसानों को खाद दिया जा रहा है। पीलीभीत में ज्यादा बिकी यूरिया, ब्लैक मार्केटिंग की आशंका कृषि विभाग के प्रमुख सचिव रविंद्र ने पीलीभीत जिले के DM ज्ञानेंद्र सिंह को 4 अगस्त को एक चिट्ठी लिखी है। इसमें प्रमुख सचिव ने बताया– ‘खरीफ सत्र 2025 में यूपी में पिछले साल के सापेक्ष 25 प्रतिशत ज्यादा यूरिया की खपत के दृष्टिगत सभी जिलों में खरीदी गई यूरिया की समीक्षा हुई। इसमें पाया गया कि जिला पीलीभीत में एक अप्रैल, 2025 से 3 अगस्त, 2025 तक 65964 मीट्रिक टन यूरिया बेची गई है। पीलीभीत का कुल कृषि योग्य क्षेत्रफल 244627 हेक्टेयर है। इस प्रकार अब तक प्रति हेक्टेयर 261.48 किलोग्राम की दर से यूरिया किसानों को उपलब्ध कराई गई है। जबकि अभी खरीद सीजन सिर्फ शुरू हुआ है। इतनी भारी मात्रा में यूरिया फसल में डालने से फसल और जमीन दोनों विषाक्त हो रही हैं। या फिर ज्यादा यूरिया की बिक्री ब्लैक मार्केटिंग का भी संकेत हो सकती है।’ कई जिलों में ओवररेट पर बिक रही खाद, तीन नेपाली गिरफ्तार यूरिया की ब्लैक मार्केटिंग हो रही है, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता। 7 अगस्त को जिला सिद्धार्थनगर में SSB जवानों ने गश्त के दौरान तीन नेपाली युवकों को गिरफ्तार किया। उनसे 8 बोरी खाद बरामद हुई। वो बॉर्डर पर भारत से खाद खरीदकर नेपाल लेकर जा रहे थे। शाहजहांपुर जिले में इसी हफ्ते 12 उर्वरक विक्रेताओं के लाइसेंस सस्पेंड किए गए थे। दरअसल, ये दुकानदार खाद को ओवर रेट पर बेच रहे थे। किसानों ने इसकी शिकायत की। जांच में आरोप सही पाए जाने पर कार्रवाई की गई। लखीमपुर खीरी जिले में छतौनियां गांव की बी–पैक्स समिति ने एक लेटर SDM को लिखकर बताया है कि साधन सह

Aug 9, 2025 - 07:26
 0
यूपी में यूरिया संग जबरन दे रहे फंगस की दवा:300 की बोरी 400 में पड़ रही; 10-11 घंटे इंतजार, फिर भी खाली हाथ किसान
‘आंखें खोलो, चलो उठो, खाद मिल जाएगी…ठीक है।’ सड़क पर बेहोश पड़ी पत्नी को गोद में लेकर गुहार लगा रहा ये शख्स कई दिन से खाद के लिए परेशान था। लाइन में लगी महिला गश खाकर गिरी और बेहोश हो गई। यूपी के एटा जिले से ये वीडियो सामने आया, लेकिन हालात हर जिले में लगभग ऐसे ही हैं। किसान खाद के लिए परेशान हैं। सुबह 6 बजे लाइन में लग जाते हैं और शाम को 5 बजे खाली हाथ लौट आते हैं। कहीं पुलिस अपनी सुरक्षा में खाद बंटवा रही तो कहीं सोसाइटियों पर ताला लगा हुआ है। सीतापुर और लखीमपुर खीरी में तो किसान बारिश के बीच छतरी लेकर खाद लेने के लिए लाइन में खड़े दिखे। खरीफ सीजन में खाद के जबरदस्त संकट के बीच ‘दैनिक भास्कर’ यूपी के कई जिलों में ग्राउंड जीरो पर पहुंचा। किसानों का दर्द जाना। फसल कैसे प्रभावित हो सकती है, इस पर एक्सपर्ट से बातचीत की। अफसरों से भी पूछा कि ये दिक्कत क्यों है? पढ़िए रिपोर्ट... पहले ये तीन तस्वीरें देखिए.... मुजफ्फरनगर में 500 किसानों के आधार कार्ड जमा कराए, कट्टे बांटे सिर्फ 250 दोपहर के एक बजे हैं। मुजफ्फरनगर जिले में ग्राम बघरा की बहुउद्दशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति पर किसानों की लंबी लाइन लगी हुई है। यहां पर लाइन में करीब 70–80 किसान हैंं। जबकि कुछ किसान आसपास छांव में बैठकर इंतजार कर रहे हैं। यहां हमने कई किसानों से बात की। नरोत्तमपुर माजरा गांव से आए आरिफ कहते हैं– सोसाइटी वालों ने 500 आधार कार्ड जमा कर लिए हैं, जबकि इनके पास सिर्फ 250 कट्टा (बोरी) यूरिया उपलब्ध है। एक आधार कार्ड पर दो कट्टा यूरिया दिया जा रहा। उसमें भी सोसाइटी वाले जबरन हर कट्टे के साथ फंगस की दवा थमा रहे। कुल बिल 350 रुपए वसूल रहे हैं। जबकि मार्केट में भी 350 रुपए का यूरिया का कट्टा बिक रहा है। फिर हम सोसाइटी में पूरे दिन लाइन में क्यों लगें? इससे अच्छा तो बिना लाइन में लगे मार्केट जाएं और 350 रुपए का कट्टा खरीद लें। खाद नहीं मिली तो पैदावार पर असर पड़ेगा मुजफ्फरनगर जिले में गांव गढ़ी देशराज के निवासी किसान रजनीश बताते हैं– खाद लेने के लिए 5 दिन से हर रोज लाइन में लग रहा हूं। सुबह 7 बजे आता हूं और शाम को 5 बजे वापस चला जाता हूं। सोसाइटी पर खाद ही नहीं आ रही है। जब भी खाद आने की सूचना मिलती है, मैं भागकर सोसाइटी पर आता हूं। यहां लंबी लाइन लगी होती है। जब मेरा नंबर आता है, तब तक खाद खत्म हो चुकी होती है। हमने 25 बीघा फसल बुवाई की है। अगर खाद नहीं मिलेगी तो पैदावार भी प्रभावित होगी। मैं सरकार से कहना चाहता हूं कि किसानों को खाद समय पर दिलाई जाए, जिससे फसल पैदावार बढ़िया हो। बुलंदशहर में इफको सेंटर पर 3 दिन से ताला बुलंदशहर जिले में कस्बा औरंगाबाद में इफको बाजार सेंटर पर पिछले 3 दिन से ताला लगा हुआ है। किसान आते हैं और दुकान का शटर गिरा देखकर वापस लौट जाते हैं। इस सेंटर पर खाद लेने के लिए आए सचिन ने बताया– हमें भी खाद नहीं मिली। किसान खाद के लिए बहुत परेशान हैं। एक अन्य किसान अमरपाल सिंह ने बताया– मैं कई दिन से सोसाइटी पर खाद लेने आ रहा हूं। ठोस जवाब नहीं मिल रहा कि खाद कब तक आएगी। परेशान हो गया हूं। आखिर कब तक गांव से सोसाइटी तक रोजाना चक्कर लगाऊं। मेरठ में हम दौराला, सरधना सहित कई सोसाइटी पर पहुंचे। यहां पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध मिली। हालांकि खरीदार किसानों की संख्या न के बराबर थी। किसानों ने बताया, यहां भी करीब 15 दिन पहले खाद की दिक्कत थी, लेकिन अब आपूर्ति बहाल हो गई है, इसलिए दिक्कत खत्म हो गई है। अमरोहा जिले के सैद नगली में सोसाइटी पर इतनी लंबी लाइन लगी थी कि किसान सड़क तक आ गए थे। संभल में कई–कई घंटे से लाइन में खड़े किसान संभल के हयातनगर स्थित इफको किसान सेवा केंद्र पर दोपहर 3 बजे भी किसानों की लाइन लगी हुई है। वे खाद पाने के लिए कई–कई घंटे से लाइन में खड़े होकर इंतजार कर रहे हैं। किसान रामेश्वर ने बताया– दुपहरी में पांच किलोमीटर दूर से खाद लेने के लिए आया हूं। एक घंटे से लाइन में खड़ा हूं। मुझे फिलहाल दो कट्टा खाद चाहिए। अब देखता हूं खाद मिलेगी भी या नहीं। इसी लाइन में लगे बिजेंद्र भी खाद लेने के लिए 6 किलोमीटर दूर से आए हैं। वो बताते हैं– पहले भी खाद लेकर गया हूं, तब इतना टाइम नहीं लगा। अभी खाद की दिक्कत ज्यादा हुई है। लाइन में लगाकर किसानों को खाद दिया जा रहा है। पीलीभीत में ज्यादा बिकी यूरिया, ब्लैक मार्केटिंग की आशंका कृषि विभाग के प्रमुख सचिव रविंद्र ने पीलीभीत जिले के DM ज्ञानेंद्र सिंह को 4 अगस्त को एक चिट्ठी लिखी है। इसमें प्रमुख सचिव ने बताया– ‘खरीफ सत्र 2025 में यूपी में पिछले साल के सापेक्ष 25 प्रतिशत ज्यादा यूरिया की खपत के दृष्टिगत सभी जिलों में खरीदी गई यूरिया की समीक्षा हुई। इसमें पाया गया कि जिला पीलीभीत में एक अप्रैल, 2025 से 3 अगस्त, 2025 तक 65964 मीट्रिक टन यूरिया बेची गई है। पीलीभीत का कुल कृषि योग्य क्षेत्रफल 244627 हेक्टेयर है। इस प्रकार अब तक प्रति हेक्टेयर 261.48 किलोग्राम की दर से यूरिया किसानों को उपलब्ध कराई गई है। जबकि अभी खरीद सीजन सिर्फ शुरू हुआ है। इतनी भारी मात्रा में यूरिया फसल में डालने से फसल और जमीन दोनों विषाक्त हो रही हैं। या फिर ज्यादा यूरिया की बिक्री ब्लैक मार्केटिंग का भी संकेत हो सकती है।’ कई जिलों में ओवररेट पर बिक रही खाद, तीन नेपाली गिरफ्तार यूरिया की ब्लैक मार्केटिंग हो रही है, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता। 7 अगस्त को जिला सिद्धार्थनगर में SSB जवानों ने गश्त के दौरान तीन नेपाली युवकों को गिरफ्तार किया। उनसे 8 बोरी खाद बरामद हुई। वो बॉर्डर पर भारत से खाद खरीदकर नेपाल लेकर जा रहे थे। शाहजहांपुर जिले में इसी हफ्ते 12 उर्वरक विक्रेताओं के लाइसेंस सस्पेंड किए गए थे। दरअसल, ये दुकानदार खाद को ओवर रेट पर बेच रहे थे। किसानों ने इसकी शिकायत की। जांच में आरोप सही पाए जाने पर कार्रवाई की गई। लखीमपुर खीरी जिले में छतौनियां गांव की बी–पैक्स समिति ने एक लेटर SDM को लिखकर बताया है कि साधन सहकारी समिति के कर्मचारी खाद को ब्लैक मार्केट में बिचौलियों को बेच रहे हैं। किसान लाइन में खड़े रहते हैं और खाली हाथ वापस चले जाते हैं। 37 लाख टन खाद मौजूद होने का दावा, सप्लाई सिर्फ 5.37 लाख टन यूपी सरकार ने खरीफ सीजन में क्या दावे किए थे और आपूर्ति की क्या स्थिति है, हमने इसका आकलन कृषि मंत्री की दो मीटिंग से किया। पिछले साल खरीफ सीजन में पूरे उत्तर प्रदेश में 32.84 लाख मीट्रिक खाद की आपूर्ति हुई थी। इस बार सीजन शुरू होते ही जुलाई के पहले हफ्ते में यूपी के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने दावा किया कि खाद की कोई दिक्कत नहीं है। 27 टन यूरिया उपलब्ध है, जबकि 10 टन और मिलने वाली है। इस प्रकार मंत्री ने कुल 37 लाख मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध होने का दावा किया था। 29 जुलाई को कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने फिर से समीक्षा बैठक की। इसमें पाया कि जुलाई महीने के आखिर तक कृभको ने 38%, इफको ने 55%, आरसीएफ ने 63% और आईपीएल ने सिर्फ 8% खाद आपूर्ति की है। कुल 5.37 लाख मीट्रिक टन खाद की आपूर्ति हो पाई है, जो टारगेट का सिर्फ 59 परसेंट है। मंत्री ने इस पर नाराजगी जताई। यूपी में इस वक्त रोजाना यूरिया की औसतन खपत करीब 50 हजार मीट्रिक टन है। इसके सापेक्ष सहकारी समितियों को सिर्फ 20 हजार मीट्रिक टन यूरिया मिल पा रहा है। ऐसे में सरकार ने निर्देश दिया है कि उर्वरकों की निजी कंपनियां 50 फीसदी यूरिया रोजाना सहकारी समितियों को उपलब्ध कराएं। खाद न मिली तो फसल पैदावार–गुणवत्ता दोनों प्रभावित खाद न मिलने की स्थिति में फसलों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, इसे लेकर हमने सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय मेरठ के प्रोफेसर डॉक्टर संजीव गुप्ता से बात की। उन्होंने बताया– फसलों को खाद न मिलने से पौधे कमजोर हो जाते हैं। उनकी वृद्धि धीमी हो जाती है और पत्तियां कम चमकदार दिखती हैं। मिट्टी की उर्वरता भी घटती है। इसका असर फसल की पैदावार और गुणवत्ता दोनों पर पड़ता है। अगर समय से खाद न दी जाए तो फसल अपनी पूरी क्षमता से नहीं उग पातीं और अंतत: खराब हो सकती हैं। हालांकि जरूरी है कि किसान मानक अनुसार खाद का प्रयोग ही फसल में करें। ------------------------- ये खबर भी पढ़ें... यूपी में 10,827 स्कूलों का मर्जर किया जा रहा:6 साल में 36 हजार स्कूल कम हुए, विपक्ष की विधानसभा में घेरने की तैयारी यूपी में 6 साल में 36 हजार सरकारी प्राइमरी स्कूल कम हो गए हैं। 26 हजार स्कूलों को कंपोजिट कर कक्षा- 1 से 8 तक बना दिया गया। वहीं, अब 50 से कम छात्र संख्या वाले 10,827 स्कूलों का मर्जर किया जा रहा है। प्रदेश में करीब 13 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों में उच्च प्राथमिक विद्यालय नहीं हैं। स्कूलों के मर्जर को लेकर 11 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा में हंगामा होने की पूरी संभावना है। इसको देखते हुए सरकार मर्जर को बच्चों के हित में बताने की तैयारी कर रही है। 2016-17 में यूपी में 1 लाख 58 हजार 914 परिषदीय स्कूल थे। मार्च, 2020 में परिषदीय प्राइमरी स्कूलों में 4.18 लाख और उच्च प्राथमिक स्कूलों में 1.62 लाख शिक्षक कार्यरत थे। इनमें शिक्षामित्रों की संख्या को भी शामिल है। पढ़ें पूरी खबर

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow