प्रयागराज में गंगा किनारे बसे 65 हजार लोग बेघर:भूखे-प्यासे लोग छतों पर गुजर–बसर कर रहे; जिन्होंने घर छोड़े, उनके यहां चोरियां

'बाढ़ के पानी ने हमें बेघर कर दिया। रोज कमाने और रोज खाने वाले लोग हैं। कुछ खाने को बचा नहीं, 3 दिन से भूखे थे। कुछ लोग नाव पर खाने का पैकेट लेकर आए, तब जान में जान आई।' गंगा नदी शहर के जिन 15 मोहल्लों में दाखिल हो चुकी हैं, वहीं पर हमारी मुलाकात धर्मराज से हुई। वह किराए के मकान में फंसे थे। ये मकान जिन लोगों का था, वो अपने रिश्तेदारों के घर शिफ्ट हो चुके थे। प्रयागराज में गंगा-यमुना का पानी 15 दिन पहले शहर के अंदर दाखिल हुआ था। 7 दिनों से गंगा और यमुना डेंजर लेवल से ऊपर बह रही हैं। गंगा से सटे 15 मोहल्ले ऐसे हैं, जहां घरों के ग्राउंड फ्लोर डूबे हुए हैं। लोग पहली और दूसरी मंजिलों पर सामान के साथ शिफ्ट हो चुके हैं। करीब 5 लाख लोग बाढ़ के पानी के बीच फंसे हैं। ऐसे में घरों में खाने-पीने के सामान की स्टोरेज भी खत्म होने लगी है। गुजर-बसर के लिए जो लोग छतों पर बसेरा किए हैं, उन्हें बारिश परेशान कर रही है। दैनिक भास्कर भी प्रयागराज के इन मोहल्लों में पहुंचा। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… नाव पर छात्र चिल्ला रहे- ख्याल रखिए, क्योंकि चोरियां हो रहीं हमारे सफर की शुरुआत छोटा बघाड़ा एरिया से हुई। हम यहां पहुंचे, तो एक नाव पर सवार लड़के जोर-जोर से चिल्ला रहे थे। चिंता मत करिए, हम लोग आपके साथ हैं… घरों का ख्याल रखिए, क्योंकि चोरियां हो रही हैं। हमारी टीम भी इसी नाव पर सवार हो गई। हमने पूछा- अनाउंसमेंट करके लोगों को अवेयर करने की जरूर क्यों पड़ रही? रजत सिंह ने बताया कि अब खाली घरों में चोरियां हो रही है। चोर भी नाव पर आ रहे हैं। वो लोग ताले तोड़कर नाव पर ही सामान चोरी करके ले जा रहे हैं। जो घर बचे हैं, उनकी सुरक्षा के लिए हम लोग एक्टिव हुए हैं। हम लोग डीएलएड स्टूडेंट हैं। प्रयागराज में ही रहकर पढ़ते थे। अब हम बाढ़ में फंसे लोगों की मदद कर रहे हैं। यह सब अपने निजी खर्च पर कर रहे हैं, कोई मदद नहीं मिल रही। बाढ़ में फंसे परिवारों को पीने लायक पानी नहीं मिल रहा दूसरे छात्र राहुल पांडेय कहते हैं- अभी हम छोटा बघाड़ा, सलोरी, नागवासुकि, राजापुर, बेला कछार में नाव के जरिए पहुंच पा रहे हैं। लोगों को बाढ़ में पीने का साफ पानी नहीं मिल रहा। दिन का वक्त तो फिर ठीक है, मगर रात में बिजली नहीं होने से हादसे का डर बना रहता है। हमने पूछा- फिर लोग राहत शिविर में क्यों नहीं जा रहे? वह कहते हैं- दरअसल, खाली घरों में चोरियां होती है, इसलिए लोग घर नहीं छोड़ रहे हैं। क्योंकि, बाढ़ के पानी में लोग अपना सामान लेकर जा नहीं सकते हैं। राधा-सुरेमन बोले- परिवार को राहत शिविर भेजा नाव से चलते हुए हम एक घर तक पहुंचे। यहां छत पर राधा और उनके पति सुरेमन मिले। छत से नीचे सीढ़ी लगाई थी, जो आधी से ज्यादा डूबी हुई थी। उन्होंने बताया कि बाढ़ आने के बाद हम अपने मकान के ऊपरी हिस्से में ही शरणार्थी की तरह रह रहे हैं। राधा कहती हैं- सामान ऊपर की मंजिल पर शिफ्ट करते-करते ही बाढ़ का पानी अंदर घुस आया था। पहली मंजिल तक पानी ही पानी है। गृहस्थी का सामान छत पर बांधकर रखा गया है। घर इसलिए नहीं छोड़ रहे, क्योंकि चोरी बहुत हो रही हैं। हमारे परिवार में और लोग भी थे, उन्हें राहत शिविर में भेजा है। हम सुरक्षा के लिए यही बने हुए हैं। वो लोग रोज खाना और साफ पानी यहां तक लाते हैं, वरना हम भूखे ही मर जाएं। लोग बोले- मोबाइल 15 दिन बैकअप वाले लाए यहां से थोड़ा आगे बढ़ने पर हमें श्यामजी का परिवार मिला। वह भी घर की पहली मंजिल पर थे। उनके घर के बच्चे टेरिस पर खेल रहे थे। हमने पूछा- क्या मदद मिल रही है? उन्होंने कहा- प्रशासन की तरफ से ज्यादा कुछ नहीं है। बस प्राइवेट संस्था वाले आते हैं, खाने के पैकेट दे जाते हैं। उसी से गुजारा हो जाता है, नहीं तो हमारे परिवारवाले ही खाना लेकर नाव पर आते हैं। ऐसे मोबाइल खरीदकर लाए हैं, जिसमें बैटरी बैकअप 15 दिन का है। घरों में सांप घुसे, लोगों में दहशत लोगों ने बताया कि सब जगह तो गंगा का पानी है। कॉलोनियों में एक मंजिल से लेकर दो मंजिल मकान तक डूबे हैं। पानी में जीव जंतु भी नजर आ रहे हैं। छोटा बघाड़ा के कई घरों में पानी के रास्ते सांप घुस गए। इन घरों में छतों पर बसेरा जमाए परिवार नीचे के हिस्से में सांप देख डरे हुए हैं। सांपों के चक्कर में कई परिवार सामान छोड़कर पानी के रास्ते ही नावों से निकल गए। उन्हें लगा कि सांप घर के निचले इलाके में है तो वह छत पर भी चैन से सो नहीं सकेंगे। कुछ हिस्सों में कछुआ, मछलियां दिखती हैं। लेकिन, लोगों को उनसे कोई खतरा महसूस नहीं होता। लोग बोले- पैसे हैं, मगर सामान खरीदने कैसे जाएं उद्धो श्याम पटेल ने बताया- हम लोगों को बाढ़ में फंसे 3 दिन हो गए हैं। सामाजिक संस्था वाले आए थे। बिस्किट दे गए हैं, लेकिन खाना बांटने नहीं आए। बिस्किट खाकर गुजर-बसर कर रहे है। चारों तरफ पानी भरा है। समान लेने कहां से जाए, कोई मदद नहीं मिल पा रही। गोविंदपुर के राकेश ने बताया- यहां पर बाढ़ तबाही मचाए है। बाढ़ग्रस्त इलाके में हालत काफी खराब है। हमारे पास पैसा है, मगर खाने और पानी की व्यवस्था नहीं है। सरकार को थोड़ा ध्यान देना चाहिए। जो बाढ़ प्रभावित इलाके में रह रहे, सरकार को उनके लिए व्यवस्था करना चाहिए। दो मंजिल तक डूबे, सांप घरों में तो छतों पर बसेरा प्रयागराज में बाढ़ के भयावह हालात बरकरार हैं। शहर के 15 मोहल्लों में एक से लेकर दो मंजिलों तक पानी भरा है। शहरी इलाकों में करीब 100 से अधिक नावें चल रही हैं। इसके अलावा एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, जल पुलिस, बाढ़ नियंत्रण की टीमें रेस्क्यू में जुटी हैं। 3 लाख प्रतियोगी छात्र रूम, लॉज, हास्टल छोड़ गए हैं। 10 हजार परिवार घर छोड़े हैं। कई हजार परिवार दो मंजिलों से सामान समेट छतों पर बसेरा कर रहे हैं। बाढ़ के पानी में डूबने से हो रही लोगों की मौत वहीं, बाढ़ के पानी में हादसे होने लगे हैं। अशोक नगर नवादा में रहने वाले अशोक कुमार कुशवाहा बाढ़ के पानी के बीच सामान लेने निकले थे। एक जगह उन्हें गड्‌ढे की गहराई का अंदाजा नहीं हुआ। वह गिरे, तो पानी में डूब ग

Aug 7, 2025 - 11:15
 0
प्रयागराज में गंगा किनारे बसे 65 हजार लोग बेघर:भूखे-प्यासे लोग छतों पर गुजर–बसर कर रहे; जिन्होंने घर छोड़े, उनके यहां चोरियां
'बाढ़ के पानी ने हमें बेघर कर दिया। रोज कमाने और रोज खाने वाले लोग हैं। कुछ खाने को बचा नहीं, 3 दिन से भूखे थे। कुछ लोग नाव पर खाने का पैकेट लेकर आए, तब जान में जान आई।' गंगा नदी शहर के जिन 15 मोहल्लों में दाखिल हो चुकी हैं, वहीं पर हमारी मुलाकात धर्मराज से हुई। वह किराए के मकान में फंसे थे। ये मकान जिन लोगों का था, वो अपने रिश्तेदारों के घर शिफ्ट हो चुके थे। प्रयागराज में गंगा-यमुना का पानी 15 दिन पहले शहर के अंदर दाखिल हुआ था। 7 दिनों से गंगा और यमुना डेंजर लेवल से ऊपर बह रही हैं। गंगा से सटे 15 मोहल्ले ऐसे हैं, जहां घरों के ग्राउंड फ्लोर डूबे हुए हैं। लोग पहली और दूसरी मंजिलों पर सामान के साथ शिफ्ट हो चुके हैं। करीब 5 लाख लोग बाढ़ के पानी के बीच फंसे हैं। ऐसे में घरों में खाने-पीने के सामान की स्टोरेज भी खत्म होने लगी है। गुजर-बसर के लिए जो लोग छतों पर बसेरा किए हैं, उन्हें बारिश परेशान कर रही है। दैनिक भास्कर भी प्रयागराज के इन मोहल्लों में पहुंचा। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… नाव पर छात्र चिल्ला रहे- ख्याल रखिए, क्योंकि चोरियां हो रहीं हमारे सफर की शुरुआत छोटा बघाड़ा एरिया से हुई। हम यहां पहुंचे, तो एक नाव पर सवार लड़के जोर-जोर से चिल्ला रहे थे। चिंता मत करिए, हम लोग आपके साथ हैं… घरों का ख्याल रखिए, क्योंकि चोरियां हो रही हैं। हमारी टीम भी इसी नाव पर सवार हो गई। हमने पूछा- अनाउंसमेंट करके लोगों को अवेयर करने की जरूर क्यों पड़ रही? रजत सिंह ने बताया कि अब खाली घरों में चोरियां हो रही है। चोर भी नाव पर आ रहे हैं। वो लोग ताले तोड़कर नाव पर ही सामान चोरी करके ले जा रहे हैं। जो घर बचे हैं, उनकी सुरक्षा के लिए हम लोग एक्टिव हुए हैं। हम लोग डीएलएड स्टूडेंट हैं। प्रयागराज में ही रहकर पढ़ते थे। अब हम बाढ़ में फंसे लोगों की मदद कर रहे हैं। यह सब अपने निजी खर्च पर कर रहे हैं, कोई मदद नहीं मिल रही। बाढ़ में फंसे परिवारों को पीने लायक पानी नहीं मिल रहा दूसरे छात्र राहुल पांडेय कहते हैं- अभी हम छोटा बघाड़ा, सलोरी, नागवासुकि, राजापुर, बेला कछार में नाव के जरिए पहुंच पा रहे हैं। लोगों को बाढ़ में पीने का साफ पानी नहीं मिल रहा। दिन का वक्त तो फिर ठीक है, मगर रात में बिजली नहीं होने से हादसे का डर बना रहता है। हमने पूछा- फिर लोग राहत शिविर में क्यों नहीं जा रहे? वह कहते हैं- दरअसल, खाली घरों में चोरियां होती है, इसलिए लोग घर नहीं छोड़ रहे हैं। क्योंकि, बाढ़ के पानी में लोग अपना सामान लेकर जा नहीं सकते हैं। राधा-सुरेमन बोले- परिवार को राहत शिविर भेजा नाव से चलते हुए हम एक घर तक पहुंचे। यहां छत पर राधा और उनके पति सुरेमन मिले। छत से नीचे सीढ़ी लगाई थी, जो आधी से ज्यादा डूबी हुई थी। उन्होंने बताया कि बाढ़ आने के बाद हम अपने मकान के ऊपरी हिस्से में ही शरणार्थी की तरह रह रहे हैं। राधा कहती हैं- सामान ऊपर की मंजिल पर शिफ्ट करते-करते ही बाढ़ का पानी अंदर घुस आया था। पहली मंजिल तक पानी ही पानी है। गृहस्थी का सामान छत पर बांधकर रखा गया है। घर इसलिए नहीं छोड़ रहे, क्योंकि चोरी बहुत हो रही हैं। हमारे परिवार में और लोग भी थे, उन्हें राहत शिविर में भेजा है। हम सुरक्षा के लिए यही बने हुए हैं। वो लोग रोज खाना और साफ पानी यहां तक लाते हैं, वरना हम भूखे ही मर जाएं। लोग बोले- मोबाइल 15 दिन बैकअप वाले लाए यहां से थोड़ा आगे बढ़ने पर हमें श्यामजी का परिवार मिला। वह भी घर की पहली मंजिल पर थे। उनके घर के बच्चे टेरिस पर खेल रहे थे। हमने पूछा- क्या मदद मिल रही है? उन्होंने कहा- प्रशासन की तरफ से ज्यादा कुछ नहीं है। बस प्राइवेट संस्था वाले आते हैं, खाने के पैकेट दे जाते हैं। उसी से गुजारा हो जाता है, नहीं तो हमारे परिवारवाले ही खाना लेकर नाव पर आते हैं। ऐसे मोबाइल खरीदकर लाए हैं, जिसमें बैटरी बैकअप 15 दिन का है। घरों में सांप घुसे, लोगों में दहशत लोगों ने बताया कि सब जगह तो गंगा का पानी है। कॉलोनियों में एक मंजिल से लेकर दो मंजिल मकान तक डूबे हैं। पानी में जीव जंतु भी नजर आ रहे हैं। छोटा बघाड़ा के कई घरों में पानी के रास्ते सांप घुस गए। इन घरों में छतों पर बसेरा जमाए परिवार नीचे के हिस्से में सांप देख डरे हुए हैं। सांपों के चक्कर में कई परिवार सामान छोड़कर पानी के रास्ते ही नावों से निकल गए। उन्हें लगा कि सांप घर के निचले इलाके में है तो वह छत पर भी चैन से सो नहीं सकेंगे। कुछ हिस्सों में कछुआ, मछलियां दिखती हैं। लेकिन, लोगों को उनसे कोई खतरा महसूस नहीं होता। लोग बोले- पैसे हैं, मगर सामान खरीदने कैसे जाएं उद्धो श्याम पटेल ने बताया- हम लोगों को बाढ़ में फंसे 3 दिन हो गए हैं। सामाजिक संस्था वाले आए थे। बिस्किट दे गए हैं, लेकिन खाना बांटने नहीं आए। बिस्किट खाकर गुजर-बसर कर रहे है। चारों तरफ पानी भरा है। समान लेने कहां से जाए, कोई मदद नहीं मिल पा रही। गोविंदपुर के राकेश ने बताया- यहां पर बाढ़ तबाही मचाए है। बाढ़ग्रस्त इलाके में हालत काफी खराब है। हमारे पास पैसा है, मगर खाने और पानी की व्यवस्था नहीं है। सरकार को थोड़ा ध्यान देना चाहिए। जो बाढ़ प्रभावित इलाके में रह रहे, सरकार को उनके लिए व्यवस्था करना चाहिए। दो मंजिल तक डूबे, सांप घरों में तो छतों पर बसेरा प्रयागराज में बाढ़ के भयावह हालात बरकरार हैं। शहर के 15 मोहल्लों में एक से लेकर दो मंजिलों तक पानी भरा है। शहरी इलाकों में करीब 100 से अधिक नावें चल रही हैं। इसके अलावा एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, जल पुलिस, बाढ़ नियंत्रण की टीमें रेस्क्यू में जुटी हैं। 3 लाख प्रतियोगी छात्र रूम, लॉज, हास्टल छोड़ गए हैं। 10 हजार परिवार घर छोड़े हैं। कई हजार परिवार दो मंजिलों से सामान समेट छतों पर बसेरा कर रहे हैं। बाढ़ के पानी में डूबने से हो रही लोगों की मौत वहीं, बाढ़ के पानी में हादसे होने लगे हैं। अशोक नगर नवादा में रहने वाले अशोक कुमार कुशवाहा बाढ़ के पानी के बीच सामान लेने निकले थे। एक जगह उन्हें गड्‌ढे की गहराई का अंदाजा नहीं हुआ। वह गिरे, तो पानी में डूब गए। इससे उनकी मौत हो गई। घरवाले उनका इंतजार ही करते रह गए। दूसरा हादसा करेली में हुआ। गड्‌ढा कॉलोनी इलाके में रहने वाला मो. अकरम मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। परिवार में भाई, बहन और उसकी पत्नी रिजवाना है। परिवारवालों ने बताया कि गड्‌ढा कॉलोनी पिछले कई दिनों से बाढ़ से प्रभावित है। यहां के लोग किसी तरह गुजर-बसर कर रहे हैं। लोगों को घर का जरूरी सामान लेने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। 5 अगस्त को मो. अकरम भी नाव से सामान लेने के लिए घर से निकला था। वह पहले अपने भाई के घर गया और उनसे कुछ रुपए लिए। इसके बाद वह सामान लेकर नाव से घर लौटने लगा, लेकिन घर नहीं पहुंचा। कई घंटे तक घर नहीं पहुंचने पर परिवारवालों देर रात सूचना पुलिस को दी। 6 अगस्त को यमुना नदी का जलस्तर कम होने पर अकरम का शव घर से थोड़ी दूर पर पानी में तैरता दिखाई दिया। बाढ़ का पानी, कहां-कहां पहुंचा है, ये जानिए शहर के छोटा बघाड़ा, बड़ा बघाड़ा, बक्शी बांध, सलोरी, राजापुर नेवादा, दारागंज, सदियापुर, करेलाबाग, शुक्ला मार्केट, बक्शी, बंधवा, शिवकुटी आदि इलाकों में नावें चल रही हैं। बलुआघाट बारादरी और उससे जुड़े एक दर्जन मुहल्लों मं अभी भी पानी भरा हुआ है। थरवई, फाफामऊ इलाकों में उपकेंद्र में पानी भर जाने से 40 गांवों में कई दिनों से बिजली नहीं आई। गंगापार और यमुनापार के नैनी, अरैल, यमुना ब्रिज, छतनाग, बरदा, सुनौटी, झूंसी, गारापुर, पूर्वा, पूरा सूरदास, कजरिया, ढोल बजवा, कोहना, मुंशी का पूरा, विश्वकर्मा मार्केट, फाफामऊ, मनसईता, बहमलपुर, नवाबगंज आदि गांवों में पानी भरा हुआ है। शहर और देहात क्षेत्रों में बनाए गए राहत शिविरों में करी 10 हजार लोग पनाह लिए हुए हैं। रेस्क्यू टीम हर रोज दो से तीन हजार लोगों को राहत शिविरों में पहुंचा रही हैं। शहर के जिन इलाकों में पानी भरा है, वहां ज्यादातर प्रतियोगी छात्रों का गढ़ है। ये छात्र घर छोड़ चुके हैं। ......................... यह भी पढ़ें : प्रयागराज में 15 लाख लोग पानी से घिरे, ड्रोन VIDEO:गंगा-यमुना उफनाई, 2500 गांवों में घुसा पानी, सिर्फ नाव ही सहारा प्रयागराज में गंगा-यमुना डेंजर लेवल से ऊपर बह रही हैं। पानी रिहायशी इलाकों में दाखिल हो चुका है। एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक, 2500 गांव बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं। यहां रहने वाली 15 लाख की आबादी को अब नाव का ही सहारा है। बाढ़ की वजह से 7 अगस्त तक स्कूल बंद किए गए हैं। पढ़िए पूरी खबर...

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow