मूसेवाला मर्डर के आर्म सप्लायर को ढूंढ रही NIA:बीवी की जिस सर्जरी के बहाने बेल ली, वह गाजियाबाद में होती ही नहीं
पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या के लिए हथियार सप्लाई करने वाला शाहबाज अंसारी 21 जून से लापता है। पत्नी की स्पाइन डिकम्प्रेशन सर्जरी के लिए दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने उसको 1 महीने की अंतरिम जमानत दी थी। न सर्जरी हुई, न शाहबाज जेल में लौटा। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) पिछले 1 महीने से दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर समेत पश्चिमी यूपी के कई जिलों में रेड डाल रही है। कई लोगों से पूछताछ की गई है। शाहबाज का सेफ हाउस नेपाल है। पाकिस्तान से आने वाले हथियार वो नेपाल के जरिए ही भारत मंगवाता रहा है। इसलिए जांच एजेंसियों को शक है कि वो कहीं नेपाल न भाग गया हो? शाहबाज अंसारी कौन है? सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस से उसका क्या कनेक्शन है? कोर्ट को उसने कैसे चकमा दिया? पढ़िए ये स्पेशल रिपोर्ट... सबसे पहले जानिए, कौन है शाहबाज अंसारी? खुर्जा का रहने वाला, सिद्धू मूसेवाला की हत्या के लिए हथियार भेजे शाहबाज अंसारी मूलरूप से यूपी के बुलंदशहर का रहने वाला है। उसका घर कस्बा खुर्जा में मोहल्ला शेख साहिब नगर में है। कुर्बान अंसारी उसका पिता था, जो इलाके का बड़ा आर्म्स सप्लायर था। कोरोना काल में उसकी मौत हो गई थी। कुर्बान के बाद उसका धंधा भाई रेहान अंसारी ने संभाल लिया। उसका दूसरा भाई रिजवान अंसारी भी हथियार सप्लाई से जुड़ा है। बाद में धंधे की कमान कुर्बान के बेटों शाहबाज और नदीम अंसारी ने संभाल ली। शाहबाज के पिता कुर्बान और चाचा रेहान साल-2016 में 10 पिस्टल के साथ पकड़े गए थे। ये नेपाल के रास्ते भारत लाई गई थीं। उन दिनों अंसारी परिवार खुर्जा में इंडिया सेरेमिक्स नाम से इलेक्ट्रिक स्विच और सॉकेट बनाने की फैक्ट्री चलाता था। ये बाद में बंद कर दी गई थी। खुर्जा से 8 लाख रुपए में बेची थी AK-47, इसी से हुई मूसेवाला की हत्या पंजाब के मनसा में 29 मई, 2022 को सिंगर सिद्धू मूसेवाला की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। पता चला कि इस वारदात में लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड के शूटर शामिल थे। रिमांड के दौरान लॉरेंस बिश्नोई से पूछताछ हुई। इसमें पता चला कि मूसेवाला की हत्या के लिए बुलंदशहर से हथियार सप्लाई हुए थे। सप्लायरों में कुर्बान अंसारी गैंग का नाम सामने आया। शूटरों ने खुर्जा से AK-47 राइफल 8 लाख रुपए में खरीदी थी। NIA पहली बार इस सिलसिले में 18 अक्टूबर, 2022 को बुलंदशहर जिले में खुर्जा में पहुंची थी। यहां से कुर्बान अंसारी के बेटे नदीम अंसारी और भाई रेहान अंसारी को गिरफ्तार किया। उनसे पूछताछ में कुर्बान के दूसरे बेटे शाहबाज अंसारी का नाम सामने आया। शाहबाज घर पर उस वक्त नहीं मिला। NIA ने शाहबाज को 2 बार दिल्ली मुख्यालय बुलाकर पूछताछ की। तीसरी बार में उसको 8 दिसंबर, 2022 को गिरफ्तार कर लिया। तभी से वो दिल्ली की जेल में बंद था। 18 जून को जमानत, 2 दिन बाद ही मोबाइल स्विच ऑफ 18 जून, 2025 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने शाहबाज अंसारी को 1 महीने की अंतरिम जमानत दे दी। शाहबाज ने दलील दी थी कि उसे अपनी पत्नी गुलफिशा की गाजियाबाद के MMG जिला अस्पताल में स्पाइन डिकम्प्रेशन सर्जरी करवानी है। इस दौरान वो पत्नी के साथ रहेगा। कोर्ट ने इस शर्त के साथ शाहबाज को जमानत दी कि वो अपना मोबाइल नंबर NIA के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर को दे। साथ ही हर हफ्ते अपनी मौजूदगी का अपडेट देता रहेगा। कोर्ट सूत्रों ने बताया- जमानत मिलने के 2 दिन बाद ही शाहबाज का मोबाइल स्विच ऑफ हो गया। NIA ने स्पेशल प्रोसिक्यूटर के जरिए कोर्ट में एक एप्लिकेशन डालते हुए शाहबाज की जमानत रद्द करने की मांग की। NIA ने कोर्ट को बताया कि शाहबाज अंसारी ने जो मोबाइल नंबर दिया था, वह स्विच ऑफ है। उससे कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है। 8 जुलाई, 2025 को पटियाला हाउस कोर्ट ने शाहबाज की जमानत कैंसिल कर दी। कोर्ट ने शाहबाज को नोटिस जारी किया। उसके बावजूद वो पेश नहीं हुआ। गाजियाबाद के हॉस्पिटल में साठगांठ करके बनवाए इलाज के कागज जांच एजेंसी से जुड़े सूत्रों के अनुसार, शाहबाज ने अपना जो मोबाइल नंबर कोर्ट में लिखवाया था, NIA ने सबसे पहले उसकी जांच शुरू की। पता चला कि ये सिम असम में रहने वाले एक व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड है। उसे कुछ रुपए का लालच देकर ये नंबर कोर्ट डॉक्यूमेंट्स में लिखवाया गया था। इसके बाद NIA 20 जुलाई को गाजियाबाद के MMG हॉस्पिटल पहुंची। यहां जांच में ये बात सामने आई कि डॉक्यूमेंट्स में गुलफिशा की एंट्री दर्ज मिली है। डॉक्यूमेंट्स के अनुसार, गुलफिशा ने OPD की पर्ची बनवाई। इसके बाद वो संबंधित विभाग के डॉक्टर से मिली। डॉक्टर का एक पर्चा कोर्ट में लगाया गया। इसमें लिखा है कि गुलफिशा को स्पाइन डिकम्प्रेशन की सर्जरी कराने के साथ लंबे बेड रेस्ट की जरूरत है। इस पर्चे के आधार पर ही उसके पति शाहबाज अंसारी को जमानत मिली। अभी ये प्रूव नहीं हो सका है कि हॉस्पिटल का वो पर्चा डॉक्टरों से साठगांठ करके बनवाया गया था या फिर पूरी तरह फर्जी था। NIA को जांच में ये भी पता चला कि स्पाइन डिकम्प्रेशन की सर्जरी इस हॉस्पिटल में होती ही नहीं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि फिर डॉक्टर ने किस आधार पर अपने यहां सर्जरी के लिए गुलफिशा को पर्चे पर लिखकर दिया था? डॉक्यूमेंट्स में गुलफिशा का मोबाइल नंबर भी 10 की जगह 11 अंकों का लिखा मिला। एंट्री रजिस्टर में कई जगह व्हाइट फ्लूड भी लगा मिला। आशंका है, हॉस्पिटल के डॉक्यूमेंट्स में छेड़छाड़ हुई है। हॉस्पिटल के CMS अखिलेश मोहन ने इस मामले में 3 डॉक्टरों की इन्क्वायरी कमेटी बनाई है। गुलफिशा से जुड़े सभी डॉक्यूमेंट्स फिलहाल NIA के कब्जे में हैं। कोर्ट में जो एड्रेस लिखवाया, वो मकान 11 दिन पहले किया खाली हॉस्पिटल की जांच के बाद NIA कोर्ट में लिखवाए गए गुलफिशा के गाजियाबाद वाले एड्रेस पर पहुंची। पता चला, गुलफिशा अब यहां नहीं रहती। 18 जून, 2025 को जब शाहबाज को जमानत मिली, उससे 11 दिन पहले ही वो मकान खाली करके कहीं जा चुकी थी। ऐसा माना जा रहा है कि कोर्ट में एड्रेस लिखवाने के लिए ही गुलफिशा ने ग

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