एक्ट का पालन नहीं, जानबूझकर ठेकेदार को फायदा पहुंचाया
अमृतसर-बठिंडा निगम के अफसरों–कर्मचारियों ने प्राइवेट फर्मों को फायदा पहुंचाने के लिए पार्किंग और यूनीपोल एडवरटाइजमेंट के ठेकों में 53.70 लाख की स्टांप ड्यूटी की चोरी करवा डाली। अमृतसर में नवंबर 2021 में निगम ने एक प्राइवेट कंपनी को 7 साल के लिए विज्ञापन साइट्स का ठेका दिया, लेकिन इसमें 39.95 लाख की स्टांप नहीं चुकाई। इसी तरह 6 पार्किंग साइट्स का ठेका 100 रुपए के नॉन ज्यूडिशियल स्टांप पेपर पर किया गया। इससे सरकार को 5,18,817 रुपए का नुकसान हुआ। यानी अमृतसर में कुल 45.14 करोड़ की स्टांप ड्यूटी चोरी हुई। वहीं बठिंडा निगम ने 8.56 लाख रुपए स्टांप ड्यूटी का गबन हुआ। बठिंडा निगम के अधिकारियों–कर्मचारियों ने 100–100 रुपए के स्टांप पेपर्स पर एग्रीमेंट करके सरकारी खजाने में मात्र 500-500 रुपए जमा करवाए। इस घोटाले का खुलासा कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (कैग) की रिपोर्ट में हुआ है। कैग के चंडीगढ़ कार्यालय के प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल (ऑडिट) ने पंजाब के लोकल बॉडीज विभाग से 6 हफ्तों में जवाब मांगा है। साथ ही लिखा है कि जवाब न मिलने पर आरोप सही मान लिए जाएंगे। गौरतलब है कि ऊपर किए तीनों टेंडरों में पार्किंग क्लर्क, टेंडर क्लर्क, एस्टेट अफसर और विभाग के हैड की मुख्य भूमिका होती है। ऐसे में संबंधित समय के इन कर्मचारियों और अफसरों का पता लगाकर निगम को एक्शन लेना होगा। लेटर के अनुसार जनवरी 2023 से नवंबर 2023 के बीच अमृतसर में शहर की 6 पार्किंग साइटों का एक साल का ठेका 2 निजी पार्टियों को दे दिया, लेकिन न तो फॉर्मल एग्रीमेंट किया गया और न ही नियमानुसार स्टांप ड्यूटी वसूली गई। निगम ने ठेके के लिए जिन लेटरों के जरिए पार्किंग साइट्स का आवंटन किया, उसमें लिखा गया था कि सिर्फ 100 रुपए के नॉन-ज्यूडिशियल स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट होगा। दोनों प्राइवेट कंपनियों ने नगर निगम को सिर्फ 100-100 रुपए का स्टांप पेपर दिया और उसी पर पूरे ठेके का काम शुरू हो गया। नियमों के मुताबिक, पार्किंग फीस वसूली जैसे समझौतों के लिए उचित स्टांप ड्यूटी जरूरी होती है। लेकिन नगर निगम ने न तो कोई पक्का एग्रीमेंट करवाया और न ही ठेकेदारों से लाखों की स्टांप ड्यूटी ली। इससे सरकार को 5,18,817 रुपए के राजस्व का सीधा नुकसान हुआ। इसी तरह बठिंडा निगम ने जून 2023 में मल्टीलेवल पार्किंग का ठेका 1.07 करोड़ में दिया गया। इसमें निगम ने सिर्फ 500 में एग्रीमेंट दर्ज कर दिया, जिससे सरकारी खजाने को करीब 8 लाख का नुकसान हुआ। लैटर में लिखा है, इस औपचारिक समझौते पर हस्ताक्षर करने के बावजूद विज्ञापनों व पार्किंग स्थलों के लीज डॉक्यूमेंट को रजिस्टर्ड कराने के लिए कायदे–कानून का पालना कराने में अफसर विफल रहे हैं। जानबूझकर कांट्रेक्टर को फायदा पहुंचाया गया है। विभाग को ठेकेदारों से बकाया स्टांप ड्यूटी वसूलने के लिए नगर निगम को जरूरी निर्देश जारी करने चाहिए। स्टैंप ड्यूटी राशि के साथ दस्तावेजों को रजिस्टर्ड कराना चाहिए। निगम ने एक प्राइवेट कंपनी को 7 साल के लिए विज्ञापन साइट्स का ठेका दिया। ठेका "डिजाइन, बिल्ड, ऑपरेट, मेंटेन और ट्रांसफर' मॉडल पर दिया था। कंपनी को यह अधिकार मिला कि वह 7 साल तक अलग-अलग विज्ञापन साइट्स पर अपने क्लाइंट्स के एड्स लगाए और बदले में सालाना 12 करोड़ रुपए निगम को दे। शर्त यह थी कि पहले 2 साल हर साल 2% और फिर बाकी वर्षों में 5% सालाना बढ़ोतरी होगी। नियमों के मुताबिक, यह एग्रीमेंट इंडियन स्टांप एक्ट की धारा 2(16)(c) के तहत ‘लीज’ की श्रेणी में आता है। ऐसे में इसे तीन फीसदी स्टांप ड्यूटी देनी थी, जो कि इस ठेके की एवरेज सालाना फीस 13.31 करोड़ रुपए के हिसाब से 39,95,753 रुपए बनती थी। ^जिम्मेदार अफसरों को बचाव का मौका देने की बजाय सस्पेंड करना चाहिए। जब जांच रिपोर्ट में यह सामने आ चुका है कि ठेकेदारों को जानबूझकर फायदा पहुंचाया गया है तो ऐसे में संबंधित अफसरों से चर्चा के बाद में एक्शन ले लिया जाना चाहिए। राज्य सरकार के प्रिंसिपल अकाउंटेंट के ऑडिट में भ्रष्टाचार साफ दिया गया है। अब ठेकेदारों से स्टांप ड्यूटी रिकवरी व दस्तावेज जब्त करने की बात अफसरों को बचाव करने जैसी है। -पीसी शर्मा, सीनियर एडवोकेट अमृतसर

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