वैज्ञानिकों की किसानों को सलाह, फसलों का विविधीकरण खेती का भविष्य
भास्कर न्यूज | लुधियाना पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (पीएयू) की ओर से आयोजित मासिक किसान क्लब प्रशिक्षण शिविर में 135 किसानों ने हिस्सा लिया। यह शिविर न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समृद्ध रहा, बल्कि खेती के भविष्य को लेकर एक स्पष्ट दिशा भी प्रदान करता दिखा। विशेषज्ञों ने स्पष्ट कहा कि पारंपरिक गेहूं-धान चक्र से बाहर निकलकर अब किसानों को फलों, सब्जियों और अन्य वैकल्पिक फसलों की ओर बढ़ना चाहिए, जिससे न सिर्फ आमदनी बढ़ेगी बल्कि खेती को दीर्घकालिक टिकाऊ बनाया जा सकेगा। शिविर में उपस्थित कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को व्यावहारिक और तकनीकी जानकारी दी। बीज उत्पादन विभाग के डॉ. टीपीएस सिंह ने अनाज वाली फसलों के बीज उत्पादन की आधुनिक तकनीकों पर विस्तार से बताया। सब्जी विज्ञान विभाग से डॉ. नवजोत सिंह बराड़ ने किसानों को आलू की उन्नत किस्मों, उसकी खेती के वैज्ञानिक तरीके और भंडारण विधियों की जानकारी दी, जिससे किसान कम लागत में अधिक उत्पादन ले सकें। फल विज्ञान विभाग से डॉ. जसविंदर सिंह बराड़ ने फलों के पेड़ों की योजना, सही समय पर रोपण, पौधों की दूरी और देखरेख से जुड़ी बातों को विस्तार से समझाया। साथ ही उन्होंने फलदार पौधों की उन किस्मों के बारे में बताया, जो पंजाब के मौसम के अनुकूल हैं और बाजार में भी जिनकी मांग अधिक है। क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र कपूरथला के निदेशक डॉ. गुलजार सिंह संगेहरा ने गन्ने की खेती के वैज्ञानिक तरीके, नई किस्मों, फसल चक्र और गन्ने से जुड़ी आधुनिक मशीनों की जानकारी साझा की। कार्यक्रम की शुरुआत में किसान क्लब के सचिव सतवीर सिंह ने सभी विशेषज्ञों और किसानों का स्वागत किया। क्लब के अध्यक्ष मनप्रीत सिंह ग्रेवाल ने कार्यक्रम के अंत में सभी का आभार जताया और कहा कि ऐसे प्रशिक्षण शिविर किसानों के लिए मार्गदर्शक साबित होते हैं। इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संचालित करने में कम्युनिकेशन सेंटर के वरिंदर सिंह की भूमिका सराहनीय रही। यह पूरा आयोजन डॉ. टीएस रिआड़, अतिरिक्त निदेशक (कम्युनिकेशन) और डॉ. कुलदीप सिंह, एसोसिएट डायरेक्टर (पीआर) के नेतृत्व में किया गया। शिविर के अंत में विशेषज्ञों ने किसानों से खुलकर चर्चा की और उनकी समस्याओं का समाधान बताया। किसानों ने भी फसलों के विविधीकरण में रुचि दिखाई और कहा कि वे जल्द ही अपने खेतों में नई किस्मों और वैकल्पिक फसलों को अपनाएंगे। पीएयू की इस पहल को किसानों ने सराहा और भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेने की इच्छा जताई।

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