पेंशन कटौती मामले में हाईकोर्ट का फैसला:कमेटी 3 महीने में करेगी याचिकाओं का निस्तारण, तब तक नहीं होगी वसूली

लखनऊ हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों की पेंशन कटौती से जुड़ी हजारों याचिकाओं पर महत्वपूर्ण आदेश दिया है। न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने राज्य सरकार द्वारा गठित कमेटी को याचिकाओं के निस्तारण का जिम्मा सौंपा है। कोर्ट ने याचियों को एक महीने में कमेटी के समक्ष अपना प्रत्यावेदन देने का निर्देश दिया है। कमेटी को इन प्रत्यावेदनों पर तीन महीने में निर्णय लेना होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कमेटी के निर्णय तक याचियों की पेंशन से कोई वसूली नहीं की जाएगी। याचियों का कहना था कि सेवानिवृत्ति पर ली गई एकमुश्त पेंशन राशि की वसूली के लिए उनकी मासिक पेंशन से कटौती की जा रही है। यह कटौती एडवांस पेंशन का लगभग एक प्रतिशत से कुछ अधिक है। इस दर से ब्याज सहित पूरी राशि 10 वर्ष 11 माह में या अधिकतम 12 वर्ष में वसूल हो सकती है। याचियों ने 8 दिसंबर 2008 के शासनादेश को चुनौती दी, जिसमें वसूली की अवधि 15 वर्ष कर दी गई थी। कोर्ट ने यह भी कहा है कि कमेटी के निर्णय से असंतुष्ट याची पुनः याचिका दायर कर सकते हैं। यही प्रक्रिया रेलवे के कर्मचारियों पर भी लागू होगी।

Jun 5, 2025 - 05:01
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पेंशन कटौती मामले में हाईकोर्ट का फैसला:कमेटी 3 महीने में करेगी याचिकाओं का निस्तारण, तब तक नहीं होगी वसूली
लखनऊ हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों की पेंशन कटौती से जुड़ी हजारों याचिकाओं पर महत्वपूर्ण आदेश दिया है। न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने राज्य सरकार द्वारा गठित कमेटी को याचिकाओं के निस्तारण का जिम्मा सौंपा है। कोर्ट ने याचियों को एक महीने में कमेटी के समक्ष अपना प्रत्यावेदन देने का निर्देश दिया है। कमेटी को इन प्रत्यावेदनों पर तीन महीने में निर्णय लेना होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कमेटी के निर्णय तक याचियों की पेंशन से कोई वसूली नहीं की जाएगी। याचियों का कहना था कि सेवानिवृत्ति पर ली गई एकमुश्त पेंशन राशि की वसूली के लिए उनकी मासिक पेंशन से कटौती की जा रही है। यह कटौती एडवांस पेंशन का लगभग एक प्रतिशत से कुछ अधिक है। इस दर से ब्याज सहित पूरी राशि 10 वर्ष 11 माह में या अधिकतम 12 वर्ष में वसूल हो सकती है। याचियों ने 8 दिसंबर 2008 के शासनादेश को चुनौती दी, जिसमें वसूली की अवधि 15 वर्ष कर दी गई थी। कोर्ट ने यह भी कहा है कि कमेटी के निर्णय से असंतुष्ट याची पुनः याचिका दायर कर सकते हैं। यही प्रक्रिया रेलवे के कर्मचारियों पर भी लागू होगी।

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