साहित्य के दो स्तंभों की जयंती:तुलसीदास और प्रेमचंद पर विविध कार्यक्रम, छात्रों ने दिखाई प्रतिभा
भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ में साहित्यिक वार्षिक कैलेंडर के तहत हिंदी साहित्य के दो महान स्तंभों—गोस्वामी तुलसीदास और मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत गोस्वामी तुलसीदास की जयंती पर उनकी कृतियों पर आधारित प्रतियोगिता से हुई। इसमें छात्र-छात्राओं ने तुलसी साहित्य को स्वरबद्ध रूप में प्रस्तुत किया। प्रतियोगिता में बी.पी.ए. प्रथम सेमेस्टर के विकास कुशवाहा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। राम जी सिंह (बी.पी.ए तृतीय) द्वितीय और प्रियंका सिंह (एम.पी.ए तृतीय) तृतीय स्थान पर रहीं। ऐसे आयोजन विद्यार्थियों के समग्र विकास में सहायक इसके बाद मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर जयशंकर प्रसाद सभागार में संगोष्ठी और भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. मांडवी सिंह ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने अतिथियों का स्वागत अंग वस्त्र और तुलसी का पौधा देकर किया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन विद्यार्थियों के समग्र विकास में सहायक हैं। इससे वे अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ पाते हैं। प्रेमचंद के साहित्य यथार्थवाद का प्रणेता संगोष्ठी में मुख्य वक्ताओं के रूप में अवधेश मिश्र, डॉ. सुधा बाजपेयी और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सीमा वर्मा ने विचार रखे। अवधेश मिश्र ने प्रेमचंद के साहित्य को यथार्थवाद का प्रणेता बताया। डॉ. सुधा बाजपेयी ने उनकी कहानियों के यथार्थवादी स्वरूप पर प्रकाश डाला। डॉ. सीमा वर्मा ने नवाब राय से प्रेमचंद बनने तक के संघर्ष की प्रेरक गाथा सुनाई। हर वर्ष यह आयोजन किया जाता है भाषण प्रतियोगिता में आंचल वर्मा (बी.पी.ए. तृतीय) प्रथम, दिव्यांशु पाल (प्रथम सेमेस्टर) द्वितीय, और देव मोहन मिश्रा (प्रवेशिका प्रथम) तृतीय स्थान पर रहे।कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. रुचि खरे ने बताया कि हर वर्ष 31 जुलाई को यह आयोजन किया जाता है। कुलसचिव डॉ. सृष्टि धवन ने कहा कि ऐसे आयोजन छात्रों में साहित्यिक दृष्टिकोण, सामाजिक समरसता और मानसिक विकास को प्रोत्साहित करते हैं।

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