DDU प्रेमचंद और तुलसीदास जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन:तुलसीदास से बड़ा जनकवि कोई नहीं हो सकता बोले शिक्षक, विद्यार्थियों ने साझा की अपने विचार

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी एवं पत्रकारिता विभाग में गुरुवार को हिंदी साहित्य के दो महान लेखकों – मुंशी प्रेमचंद और गोस्वामी तुलसीदास की जयंती पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का विषय "तुलसीदास एवं हमारा समय तथा प्रेमचंद का साहित्य और उनकी पत्रकारिता" था। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो. कमलेश कुमार गुप्त ने की। उन्होंने तुलसीदास और प्रेमचंद की रचनाओं के माध्यम से उनके बीच समानताओं की चर्चा की। उन्होंने कहा कि किसी भी लेखक को समझने के लिए सिर्फ प्रसिद्ध रचनाएं नहीं, बल्कि कम प्रसिद्ध रचनाएं भी पढ़नी चाहिए। इसी संदर्भ में उन्होंने प्रेमचंद की कहानी 'अनुभव' का उल्लेख किया। कार्यक्रम की शुरुआत में विभाग के वरिष्ठ आचार्य प्रो. विमलेश मिश्रा ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि तुलसीदास और प्रेमचंद दोनों ही अपने समय में सच्चाई की आवाज बने। तुलसीदास लोक जागरण के प्रतीक थे, वहीं प्रेमचंद ने नवजागरण की मशाल थामी। दोनों की लेखनी समाज के बदलाव की दिशा तय करने वाली रही है। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. राजेश कुमार मल्ल ने प्रेमचंद और तुलसीदास के जीवन संघर्ष पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इन दोनों लेखकों को अपने-अपने समय में विरोध का भी सामना करना पड़ा। प्रेमचंद को तो कभी-कभी ‘घृणा का प्रचारक’ तक कहा गया। लेकिन प्रेमचंद का राम के प्रति प्रेम और कर्तव्य भावना उन्हें तुलसीदास से जोड़ती है। दोनों की रचनाओं में आम जनता की पीड़ा, समय की समस्याएं और समाज सुधार का स्पष्ट चित्रण मिलता है। पत्रकारिता विभाग के शिक्षक डॉ. रजनीश कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि तुलसीदास से बड़ा जनकवि कोई नहीं हो सकता। उन्होंने रामचरितमानस के माध्यम से राम के आदर्शों को घर-घर तक पहुँचाया। कार्यक्रम में पत्रकारिता और हिंदी के छात्रों मे हर्षित श्रीवास्तव, दीपक कुमार यादव, विनोद पांडेय, शिवम त्रिपाठी और अवनीश मौर्य ने भी प्रेमचंद और तुलसीदास के साहित्य और विचारों पर अपने-अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अखिल मिश्रा ने किया और इस मौके पर विभाग की शिक्षिकाएँ डॉ. ऋतु सागर, डॉ. अपर्णा पांडेय, डॉ. नरगिस बानो, शोध छात्र और अन्य विद्यार्थी उपस्थित रहे।

Aug 1, 2025 - 03:58
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DDU प्रेमचंद और तुलसीदास जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन:तुलसीदास से बड़ा जनकवि कोई नहीं हो सकता बोले शिक्षक, विद्यार्थियों ने साझा की अपने विचार
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी एवं पत्रकारिता विभाग में गुरुवार को हिंदी साहित्य के दो महान लेखकों – मुंशी प्रेमचंद और गोस्वामी तुलसीदास की जयंती पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का विषय "तुलसीदास एवं हमारा समय तथा प्रेमचंद का साहित्य और उनकी पत्रकारिता" था। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो. कमलेश कुमार गुप्त ने की। उन्होंने तुलसीदास और प्रेमचंद की रचनाओं के माध्यम से उनके बीच समानताओं की चर्चा की। उन्होंने कहा कि किसी भी लेखक को समझने के लिए सिर्फ प्रसिद्ध रचनाएं नहीं, बल्कि कम प्रसिद्ध रचनाएं भी पढ़नी चाहिए। इसी संदर्भ में उन्होंने प्रेमचंद की कहानी 'अनुभव' का उल्लेख किया। कार्यक्रम की शुरुआत में विभाग के वरिष्ठ आचार्य प्रो. विमलेश मिश्रा ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि तुलसीदास और प्रेमचंद दोनों ही अपने समय में सच्चाई की आवाज बने। तुलसीदास लोक जागरण के प्रतीक थे, वहीं प्रेमचंद ने नवजागरण की मशाल थामी। दोनों की लेखनी समाज के बदलाव की दिशा तय करने वाली रही है। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. राजेश कुमार मल्ल ने प्रेमचंद और तुलसीदास के जीवन संघर्ष पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इन दोनों लेखकों को अपने-अपने समय में विरोध का भी सामना करना पड़ा। प्रेमचंद को तो कभी-कभी ‘घृणा का प्रचारक’ तक कहा गया। लेकिन प्रेमचंद का राम के प्रति प्रेम और कर्तव्य भावना उन्हें तुलसीदास से जोड़ती है। दोनों की रचनाओं में आम जनता की पीड़ा, समय की समस्याएं और समाज सुधार का स्पष्ट चित्रण मिलता है। पत्रकारिता विभाग के शिक्षक डॉ. रजनीश कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि तुलसीदास से बड़ा जनकवि कोई नहीं हो सकता। उन्होंने रामचरितमानस के माध्यम से राम के आदर्शों को घर-घर तक पहुँचाया। कार्यक्रम में पत्रकारिता और हिंदी के छात्रों मे हर्षित श्रीवास्तव, दीपक कुमार यादव, विनोद पांडेय, शिवम त्रिपाठी और अवनीश मौर्य ने भी प्रेमचंद और तुलसीदास के साहित्य और विचारों पर अपने-अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अखिल मिश्रा ने किया और इस मौके पर विभाग की शिक्षिकाएँ डॉ. ऋतु सागर, डॉ. अपर्णा पांडेय, डॉ. नरगिस बानो, शोध छात्र और अन्य विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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