बाढ़ में इंसानों के साथ जानवर भी बेहाल:राहत शिविर में बंदर-मुर्गे की जोड़ी सुरक्षित, छोटा बघाड़ा में कुत्ते टीन शेड पर भूखे-प्यासे
जब भी किसी आपदा की बात होती है, ध्यान इंसानों की परेशानियों पर ही केंद्रित होता है, लेकिन बाढ़ की मार झेल रहे बेजुबान जानवर भी उतने ही पीड़ित हैं। प्रयागराज में गंगा और यमुना की विकराल बाढ़ से जहां हजारों लोग प्रभावित हुए हैं, वहीं सैकड़ों जानवर भी जीवन और मृत्यु के बीच जूझ रहे हैं। प्रयागराज के मीरापुर क्षेत्र स्थित रमा देवी इंटर कॉलेज में बनाए गए बाढ़ राहत शिविर में एक बंदर और एक मुर्गे को सुरक्षित रेस्क्यू कर लाया गया है। ये दोनों जानवर बाढ़ में फंस गए थे, लेकिन अब राहत शिविर में न सिर्फ उन्हें आश्रय मिला है, बल्कि भोजन और देखभाल भी मिल रही है। इस शिविर में जहां मानव पीड़ितों के लिए खाने-पीने और रहने की व्यवस्था की गई है, वहीं यह जोड़ी सबका ध्यान खींच रही है। लोग इन्हें देखने आते हैं और इनकी देखभाल भी कर रहे हैं। ये बेजुबान तो कुछ कह नहीं सकते, लेकिन इनकी आंखों में सुरक्षित होने की राहत झलकती है। यह दृश्य मानवीयता और करुणा की एक अनोखी मिसाल बन चुका है। वहीं दूसरी ओर, प्रयागराज के छोटा बघाड़ा क्षेत्र में तीन कुत्ते टीन शेड पर बैठे दिखाई दिए, जो कई दिनों से न भोजन पा सके हैं, न पानी। पानी के बीच फंसे इन बेजुबानों की ओर प्रशासन का ध्यान अब तक नहीं गया है। उनकी आंखें हर आते-जाते इंसान से सिर्फ एक आस लगाए रहती हैं – कुछ खाना, कुछ मदद। स्थानीय छात्रों और मोहल्ले वालों की कोशिश से इन कुत्तों को कभी-कभी भोजन मिल जाता है, लेकिन स्थायी राहत की सख्त जरूरत है। यह समय है जब प्रशासन और समाज दोनों को मिलकर यह सोचना होगा कि बाढ़ जैसी आपदा में जानवरों की सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी है जितनी इंसानों की। क्योंकि करुणा का सही मतलब वही है — जो बोल न सकें, उनके लिए भी आवाज उठाना।

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