डीआईजी ने दो घंटे तक की जांच:पत्नी के साथ एक साल से बंद था, जेल में बेटे के हत्यारोपी की आत्महत्या का मामला
सीतापुर जिला कारागार में 53 वर्षीय बंदी द्वार आत्महत्या किए जाने के मामला लखनऊ मुख्यालय तक पहुंच गया है। प्रकरण का संज्ञान लेते हुए डीआईजी जेल डॉक्टर रामधनी बुधवार शाम जिला कारागार पहुंचे। उन्होंने बंदी द्वारा फांसी लगाए जाने वाले हाता की जांच पड़ताल की। साथ ही जिस बैरक में बंदी एक साल से रह था उस बैरक के अन्य कैदियों और बंदी रक्षक सहित जेल कर्मियों से गहन पूछताछ कर रिपोर्ट तैयार की है। करीब 2 घंटे से अधिक छानबीन के बाद वह लखनऊ मुख्यालय रवाना हो गई है। मालूम हो कि सीतापुर जिला कारागार में बंद एक 53 वर्षीय बुजुर्ग बंदी द्वारा बुधवार सुबह करीब 7 बजे फांसी लगाकर आत्महत्या किए जाने की घटना से हड़कंप मच गया था। बंदी की पहचान रामदास निवासी ग्राम रसूलाबाद, थाना सदरपुर के रूप में हुई थी। बताया जाता है कि रामदास 16 मार्च 2024 से अपनी पत्नी विमला (50) के साथ अपने ही बेटे की हत्या के मामले में जेल में बंद था। रामदास ने बैरक के अंदर लुंगी के सहारे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। जेल प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। इस आत्महत्या की खबर से जेल प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। बताया जा रहा है कि रामदास अपने बेटे की हत्या के मामले में मानसिक रूप से काफी विचलित था, हालांकि जेल प्रशासन द्वारा उसकी मानसिक स्थिति को लेकर कोई विशेष निगरानी नहीं की जा रही थी। इस घटना के बाद जिला कारागार की सुरक्षा, बंदियों की मानसिक स्थिति की निगरानी और प्रशासनिक सतर्कता को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। जेल प्रशासन ने मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी है। जेल अधीक्षक सुरेश सिंह ने बताया कि बंदी की आकस्मिक मौत चिंता का विषय है। लखनऊ से डीआईजी जेल ने बयान दर्ज किए हैं। बंदी बेटे की हत्या के आरोप में निरुद्ध था।

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