Fauja Singh: फौजा सिंह को देख गांव के युवाओं ने छोड़ दिया था नशा, हर जुबां पर रनिंग बाबा की जिंदगी का संघर्ष

पिंड (गांव) मेरे लिए सबकुछ है। मैं यहीं पैदा हुआ, यहीं पला-बढ़ा। इसे कैसे छोड़ दूं? पिछले साल कनाडा गया था। वहां बीमार हो गया तो डर गया कि कहीं वापस ही ना जा पाऊं। मेरा सपना है-‘मरां तां अपणे देश विच मरां, अपणे पिंड विच मरां। यह शब्द थे फौजा सिंह के।

Aug 2, 2025 - 06:31
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Fauja Singh: फौजा सिंह को देख गांव के युवाओं ने छोड़ दिया था नशा, हर जुबां पर रनिंग बाबा की जिंदगी का संघर्ष
पिंड (गांव) मेरे लिए सबकुछ है। मैं यहीं पैदा हुआ, यहीं पला-बढ़ा। इसे कैसे छोड़ दूं? पिछले साल कनाडा गया था। वहां बीमार हो गया तो डर गया कि कहीं वापस ही ना जा पाऊं। मेरा सपना है-‘मरां तां अपणे देश विच मरां, अपणे पिंड विच मरां। यह शब्द थे फौजा सिंह के।

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