दंगाइयों ने पिता स्व. जगजीत सिंह पर फेंका था बम, प्रशासन मुआवजा देने में कर रहा आनाकानी

भास्कर न्यूज | अमृतसर दिल्ली दंगा पीड़ित सतबीर (45) मुआवजा राशि और नौकरी के लिए 41 साल से दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। इंसाफ के लिए सरकारों व प्रशासन के दरवाजे खटखटाकर थक चुके सतबीर निवासी आनंद नगर की आखिरी उम्मीद भी अब टूटती दिखाई दे रही हैं क्योंकि डीसी कार्यालय ने भी यह कहकर मुआवजा राशि पंजाब सरकार से दिलाने से इनकार कर दिया है कि पीड़ित सतबीर साल 1984-1987 के दौर के बीच प्रदेश में आने की बजाय साल 2009 में गुरुनगरी में रिहायश के लिए आए थे। बेशक वह साल 2009 से निरंतर यहां रह रहे हैं तथा दंगों के पीड़ित भी हैं लेकिन पंजाब सरकार की पॉलिसी के अनुसार दंगों से प​ीड़ित ऐसे परिवार जो साल 1987 तक पंजाब में प्रवास करने के लिए पहुंच चुके थे, मुआवजा राशि, नौकरी अथवा अन्य सहूलियतों के लिए केवल यही मान्य हैं, इस अवधि के बाद यहां रिहायश करने वाले पीड़ित इस मुआवजा राशि के लिए मान्य नहीं हैं। पीड़ित सतबीर सिंह ने कहा कि भी तो अन्य दंगा पीड़ितों की तरह दंगों से प्रभावित परिवार से ही हैं, जब 1984 के समस्त दंगा पीड़ितों को मुआवजा मिल रहा है तो उन्हें क्यों नहीं? उन्होंने बताया कि दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी इसी माह 19 से अधिक पीड़ितों को मुआवजा राशि दी है, उक्त पीड़ित भी अन्य राज्यों से आकर यहां बस गए थे। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार को भी इसपर विचार करते हुए मुआवजा संबंंधी प्रशासन को दी गई फाइल को हरी झंडी प्रदान कर मुआवजा देना चाहिए। सतबीर सिंह लांबा ने बताया कि साल 1984 में वह बिहार के जिला धनबाद (मौजूदा झारखंड राज्य के शहर बोकारो) में पारिवारिक सदस्यों के साथ रहते थे। नवंबर 1984 में हमारे हंसते मुस्कराते परिवार पर दंगाइयों के हजूम ने बम धमाका कर धावा बोल दिया था, जिसमें सब कुछ तबाह हो गया। पिता जगजीत पर दंगाइयों ने बम फेंक दिया था, जिससे वह गंभीर घायल हो गए थे, नतीजतन वह सदमे में चले गए थे, इस दुखांत के बाद साल 2004 में उनकी मौत हो गई थी। बता दें कि सतबीर साल 2009 में गुरुनगरी में अपनी माता स्व. जोगिंदर कौर के साथ यहां आकर बस गए थे। पीड़ित सतबीर उस समय से लेकर आज तक हम अपने पैरों पर खड़े नहीं हो सके हैं। 1987 तक अन्य राज्यों से पलायन कर प्रदेश में बसने वाले पीड़ित ही इस मुआवाजा के लिए मान्य हैं, अगर भविष्य में पंजाब सरकार की कोई नई पॉलिसी आती है तो फिर मुआवजा अथवा नौकरी अवश्य प्रदान कर दी जाएगी। सतबीर की फाइल पीडितों की सूची में सुरक्षित रखी गई है। -साक्षी साहनी, डीसी, अमृतसर

Aug 4, 2025 - 12:50
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दंगाइयों ने पिता स्व. जगजीत सिंह पर फेंका था बम, प्रशासन मुआवजा देने में कर रहा आनाकानी
भास्कर न्यूज | अमृतसर दिल्ली दंगा पीड़ित सतबीर (45) मुआवजा राशि और नौकरी के लिए 41 साल से दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। इंसाफ के लिए सरकारों व प्रशासन के दरवाजे खटखटाकर थक चुके सतबीर निवासी आनंद नगर की आखिरी उम्मीद भी अब टूटती दिखाई दे रही हैं क्योंकि डीसी कार्यालय ने भी यह कहकर मुआवजा राशि पंजाब सरकार से दिलाने से इनकार कर दिया है कि पीड़ित सतबीर साल 1984-1987 के दौर के बीच प्रदेश में आने की बजाय साल 2009 में गुरुनगरी में रिहायश के लिए आए थे। बेशक वह साल 2009 से निरंतर यहां रह रहे हैं तथा दंगों के पीड़ित भी हैं लेकिन पंजाब सरकार की पॉलिसी के अनुसार दंगों से प​ीड़ित ऐसे परिवार जो साल 1987 तक पंजाब में प्रवास करने के लिए पहुंच चुके थे, मुआवजा राशि, नौकरी अथवा अन्य सहूलियतों के लिए केवल यही मान्य हैं, इस अवधि के बाद यहां रिहायश करने वाले पीड़ित इस मुआवजा राशि के लिए मान्य नहीं हैं। पीड़ित सतबीर सिंह ने कहा कि भी तो अन्य दंगा पीड़ितों की तरह दंगों से प्रभावित परिवार से ही हैं, जब 1984 के समस्त दंगा पीड़ितों को मुआवजा मिल रहा है तो उन्हें क्यों नहीं? उन्होंने बताया कि दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी इसी माह 19 से अधिक पीड़ितों को मुआवजा राशि दी है, उक्त पीड़ित भी अन्य राज्यों से आकर यहां बस गए थे। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार को भी इसपर विचार करते हुए मुआवजा संबंंधी प्रशासन को दी गई फाइल को हरी झंडी प्रदान कर मुआवजा देना चाहिए। सतबीर सिंह लांबा ने बताया कि साल 1984 में वह बिहार के जिला धनबाद (मौजूदा झारखंड राज्य के शहर बोकारो) में पारिवारिक सदस्यों के साथ रहते थे। नवंबर 1984 में हमारे हंसते मुस्कराते परिवार पर दंगाइयों के हजूम ने बम धमाका कर धावा बोल दिया था, जिसमें सब कुछ तबाह हो गया। पिता जगजीत पर दंगाइयों ने बम फेंक दिया था, जिससे वह गंभीर घायल हो गए थे, नतीजतन वह सदमे में चले गए थे, इस दुखांत के बाद साल 2004 में उनकी मौत हो गई थी। बता दें कि सतबीर साल 2009 में गुरुनगरी में अपनी माता स्व. जोगिंदर कौर के साथ यहां आकर बस गए थे। पीड़ित सतबीर उस समय से लेकर आज तक हम अपने पैरों पर खड़े नहीं हो सके हैं। 1987 तक अन्य राज्यों से पलायन कर प्रदेश में बसने वाले पीड़ित ही इस मुआवाजा के लिए मान्य हैं, अगर भविष्य में पंजाब सरकार की कोई नई पॉलिसी आती है तो फिर मुआवजा अथवा नौकरी अवश्य प्रदान कर दी जाएगी। सतबीर की फाइल पीडितों की सूची में सुरक्षित रखी गई है। -साक्षी साहनी, डीसी, अमृतसर

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